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सोशल मीडिया और युवा आंदोलन: नेपाल से श्रीलंका तक का सफर

सोशल मीडिया ने युवा वर्ग को सत्ता के खिलाफ आवाज उठाने का एक नया मंच प्रदान किया है। नेपाल, बांग्लादेश और श्रीलंका में हुए हालिया आंदोलनों ने यह साबित कर दिया है कि कैसे युवा वर्ग सोशल मीडिया के माध्यम से एकजुट होकर परिवर्तन की मांग कर रहा है। क्या ये आंदोलन वास्तव में जनहित में हैं या इसके पीछे कोई बाहरी एजेंडा है? इस लेख में हम इन सवालों का विश्लेषण करेंगे और जानेंगे कि सोशल मीडिया का प्रभाव लोकतंत्र पर कैसे पड़ रहा है।
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नेपाल में युवा आंदोलन का उभार

नेपाल में हाल ही में युवा वर्ग ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर प्रतिबंध के खिलाफ सड़कों पर उतरकर संसद तक आग लगा दी। इस जनाक्रोश के चलते पूर्व प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली को अपनी कुर्सी छोड़नी पड़ी। अब सुशीला कार्की के नेतृत्व में अंतरिम सरकार का गठन हुआ है। यह घटना अकेली नहीं है; पिछले साल अगस्त में बांग्लादेश में भी छात्रों ने इसी तरह के विरोध प्रदर्शन किए थे, जिसके परिणामस्वरूप प्रधानमंत्री शेख हसीना को इस्तीफा देना पड़ा। इसी प्रकार, जुलाई 2022 में श्रीलंका में भी युवा वर्ग ने राष्ट्रपति भवन पर कब्जा कर लिया था।


सोशल मीडिया का प्रभाव और युवा आक्रोश

सोशल मीडिया ने एक नई शक्ति का रूप ले लिया है, जिससे युवा वर्ग सत्ता के खिलाफ आवाज उठाने के लिए प्रेरित हो रहे हैं। नेपाल में हालात अब सामान्य हो रहे हैं, लेकिन यह स्पष्ट है कि सोशल मीडिया ने युवाओं को एकजुट करने और उन्हें सक्रिय करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। Gen Z के लिए सोशल मीडिया एक ऐसा मंच है जहां वे अपनी आवाज उठा सकते हैं।


क्या ये आंदोलन बाहरी ताकतों का एजेंडा हैं?

इतिहास में कई बार देखा गया है कि सोशल मीडिया ने लोगों को सड़कों पर लाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। लेकिन क्या यह सुनिश्चित किया जा सकता है कि Gen Z की आवाज वास्तव में जनता की आवाज है या इसके पीछे कोई बाहरी एजेंडा है? अमेरिका में डोनाल्ड ट्रंप के चुनावी अभियान में भी सोशल मीडिया का बड़ा योगदान रहा है।


सोशल मीडिया की शक्ति और उसके दुष्प्रभाव

आज के समय में, स्मार्टफोन और सोशल मीडिया ने हर व्यक्ति को अपनी बात कहने का एक मंच प्रदान किया है। लेकिन इस स्थिति ने सुनने की क्षमता को कम कर दिया है। पहले, समाचार चैनल खबरों को फिल्टर करते थे, लेकिन अब सोशल मीडिया पर कोई भी जानकारी बिना किसी जांच के वायरल हो जाती है।


सच और झूठ का खेल

राजनीतिक दल अब सोशल मीडिया का उपयोग अपने लाभ के लिए कर रहे हैं। फेक न्यूज और गलत सूचनाओं का प्रसार तेजी से हो रहा है, जिससे लोगों की सामूहिक चेतना प्रभावित हो रही है। यह स्थिति लोकतंत्र के लिए हानिकारक हो सकती है।


निष्कर्ष: युवा आंदोलन और सोशल मीडिया

सोशल मीडिया ने युवा वर्ग को एक नई शक्ति दी है, लेकिन इसके दुरुपयोग के खतरे भी हैं। यह महत्वपूर्ण है कि हम समझें कि क्या ये आंदोलन वास्तव में जनहित में हैं या किसी अन्य एजेंडे का हिस्सा हैं।


वीडियो: AI और सोशल मीडिया का प्रभाव