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सोशल मीडिया पर 40 मिनट का वायरल वीडियो: एक नई अफवाह का जन्म

सोशल मीडिया पर हाल ही में एक 40 मिनट के वायरल वीडियो का ट्रेंड तेजी से बढ़ा है, लेकिन क्या यह सच है? विशेषज्ञों का कहना है कि यह केवल एक अफवाह है, जो जिज्ञासा और धोखाधड़ी के कारण फैल रही है। जानें कि कैसे यह ट्रेंड 19 मिनट के एक वीडियो से शुरू हुआ और इसके संभावित खतरों के बारे में। क्या आपको इस पर क्लिक करना चाहिए? जानिए पूरी जानकारी इस लेख में।
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सोशल मीडिया पर 40 मिनट का वायरल वीडियो: एक नई अफवाह का जन्म

सोशल मीडिया पर वायरल वीडियो का नया ट्रेंड


सोशल मीडिया पर वायरल वीडियो: यह अनुमान लगाना मुश्किल है कि सोशल मीडिया पर कौन सा वीडियो कब वायरल हो जाएगा। कभी-कभी, कुछ वीडियो बड़े विवादों का कारण बन जाते हैं और ऑनलाइन हलचल पैदा कर देते हैं। हाल ही में, एक 19 मिनट 34 सेकंड का प्राइवेट वीडियो वायरल हुआ, जिसने सभी प्लेटफार्मों पर हलचल मचा दी।


अब, एक नया कीवर्ड - "40 मिनट का वायरल वीडियो" - तेजी से ट्रेंड कर रहा है, जिससे यूज़र्स में जिज्ञासा और भ्रम पैदा हो रहा है। लेकिन चौंकाने वाली बात यह है कि ऐसा कोई प्रमाणित वीडियो वास्तव में मौजूद नहीं है। यह ट्रेंड मुख्यतः जिज्ञासा, अफवाहों और क्लिकबेट तकनीकों का परिणाम है।


19 मिनट के वीडियो से 40 मिनट का ट्रेंड कैसे शुरू हुआ

इस तथाकथित 40 मिनट के वायरल वीडियो की शुरुआत पहले के 19:34 मिनट के क्लिप से हुई, जो सोशल मीडिया पर व्यापक रूप से फैल गया था। उस घटना के बाद, "19 मिनट का वीडियो" कीवर्ड तेजी से ट्रेंड करने लगा। इस चर्चा का लाभ उठाते हुए,


साइबर धोखेबाजों और क्लिकबेट पेजों ने यूज़र्स को आकर्षित करने के लिए समान कीवर्ड बनाने शुरू कर दिए। इसी तरह "40 मिनट का वायरल वीडियो" वाक्यांश उभरा, जिसके साथ अक्सर "पूरा लीक हुआ वीडियो" होने के झूठे दावे किए जाते थे।


'40 मिनट का वायरल वीडियो' फेक है

यह स्पष्ट करना आवश्यक है कि 40 मिनट का वायरल वीडियो वास्तव में मौजूद नहीं है। यह ट्रेंड फर्जी थंबनेल, भ्रामक कैप्शन और अफवाहों से संचालित हो रहा है। कई यूज़र्स, जिज्ञासा के चलते, संदिग्ध लिंक पर क्लिक कर रहे हैं, जिससे वे अनजाने में खुद को खतरे में डाल रहे हैं।


गूगल ट्रेंड्स के अनुसार, इस कीवर्ड के लिए सबसे अधिक खोजें आंध्र प्रदेश, तेलंगाना, दिल्ली और पश्चिम बंगाल में हो रही हैं। पुलिस अधिकारियों ने भी चेतावनी जारी की है कि ऐसे कंटेंट को देखना, डाउनलोड करना या साझा करना दंडनीय अपराध है, और अपराधियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जा सकती है।


विशेषज्ञों ने यूज़र्स को चेतावनी दी

डिजिटल सुरक्षा विशेषज्ञों का कहना है कि ऐसे वायरल कीवर्ड ऑनलाइन धोखाधड़ी के सबसे आसान तरीकों में से एक हैं। इन लिंक पर क्लिक करने से यूज़र्स फिशिंग वेबसाइटों पर रीडायरेक्ट हो सकते हैं या उनके फोन और लैपटॉप में मैलवेयर डाउनलोड हो सकता है। इससे सोशल मीडिया हैकिंग, व्यक्तिगत डेटा की चोरी और यहां तक कि बैंकिंग धोखाधड़ी भी हो सकती है।