स्ट्रॉबेरी की खेती: कम समय में लाखों की कमाई का सुनहरा मौका

स्ट्रॉबेरी की खेती: कमाई का बेहतरीन विकल्प
क्या आप खेती से अच्छी कमाई करना चाहते हैं? स्ट्रॉबेरी की खेती आपके लिए एक उत्कृष्ट विकल्प हो सकती है! इस फल की मांग लगातार बढ़ रही है, और यह किसानों के लिए त्वरित लाभ का एक शानदार साधन बन रहा है।
आप ताजे फल बेच सकते हैं, जैम और जूस बना सकते हैं, या निर्यात कर सकते हैं। स्ट्रॉबेरी हर दृष्टिकोण से लाभकारी है। आइए जानते हैं कि इसकी खेती कैसे करें और इसके क्या लाभ हैं!
सही जलवायु और मिट्टी की आवश्यकता
स्ट्रॉबेरी की खेती के लिए ठंडी और समशीतोष्ण जलवायु सबसे उपयुक्त मानी जाती है। भारत के हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड, जम्मू-कश्मीर, महाराष्ट्र (विशेषकर महाबलेश्वर), कर्नाटक और झारखंड में यह खेती सफलतापूर्वक की जा रही है। रबी सीजन यानी अक्टूबर-नवंबर में पौधे लगाने का सही समय होता है।
फरवरी-मार्च तक फल तैयार हो जाते हैं। इस फल को रेतीली दोमट मिट्टी पसंद है, जिसका पीएच मान 5.5 से 6.5 के बीच होना चाहिए। खेत को अच्छी तरह जोतकर गोबर की खाद या वर्मी कम्पोस्ट डालने से फसल की गुणवत्ता में सुधार होता है।
उन्नत किस्मों का चयन
स्ट्रॉबेरी की कई उन्नत किस्में बाजार में उपलब्ध हैं, जैसे कैमरोसा, चैंडलर, स्वीत चार्ली, विंटर डॉन और गॉलीथ। ये किस्में न केवल स्वाद में बेहतरीन हैं, बल्कि आकार में भी बड़ी होती हैं और बाजार में अच्छे दाम पर बिकती हैं। सही किस्म का चयन आपकी फसल की गुणवत्ता और आय दोनों को बढ़ा सकता है।
पैदावार और मुनाफे का अनुमान
स्ट्रॉबेरी की खेती की एक खासियत यह है कि पौधे लगाने के 60-75 दिन बाद फल आने लगते हैं। एक हेक्टेयर में औसतन 8 से 12 टन स्ट्रॉबेरी मिल सकती है।
यदि बाजार में दाम अच्छे रहें, तो किसान प्रति हेक्टेयर लाखों रुपये कमा सकते हैं। यह फसल कम समय में अधिक मुनाफा देने के लिए जानी जाती है।
अतिरिक्त आय के अवसर
स्ट्रॉबेरी जल्दी खराब होने वाला फल है, इसलिए स्थानीय और नजदीकी बाजारों में इसकी मांग हमेशा बनी रहती है।
यदि आपके पास कोल्ड स्टोरेज या प्रोसेसिंग यूनिट की सुविधा है, तो आप अपनी कमाई को और बढ़ा सकते हैं। स्ट्रॉबेरी से बने जैम, जूस, सिरप और वाइन जैसे उत्पाद भी बाजार में अच्छी कीमत पर बिकते हैं, जो किसानों के लिए अतिरिक्त मुनाफे का स्रोत बन सकते हैं।