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स्मार्ट सिटी सूरत: बाढ़ में स्ट्रेचर का सहारा, आपातकालीन सुविधाओं की कमी

सूरत की स्मार्ट सिटी योजना की वास्तविकता अब सामने आ गई है, जब भारी बारिश के बाद बाढ़ जैसी स्थिति में एक वृद्ध को फायर ब्रिगेड द्वारा स्ट्रेचर पर अस्पताल पहुंचाया गया। एंबुलेंस की अनुपस्थिति और आपातकालीन सुविधाओं की कमी ने प्रशासन के दावों को सवालों के घेरे में ला दिया है। स्थानीय निवासियों का कहना है कि करोड़ों रुपये खर्च करने के बावजूद बुनियादी सुविधाएं उपलब्ध नहीं हैं। जानें इस मुद्दे की पूरी कहानी।
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स्मार्ट सिटी सूरत: बाढ़ में स्ट्रेचर का सहारा, आपातकालीन सुविधाओं की कमी

सूरत में बाढ़ की स्थिति

गुजरात समाचार: स्मार्ट सिटी सूरत की वास्तविकता अब सबके सामने आ चुकी है। शहर के लिम्बायत क्षेत्र में मीठीखाड़ी इलाके में भारी बारिश के बाद बाढ़ जैसी स्थिति उत्पन्न हो गई है। इस संकट के दौरान एक बीमार वृद्ध को अस्पताल पहुंचाने के लिए फायर ब्रिगेड की टीम को स्ट्रेचर का सहारा लेना पड़ा। स्मार्ट सिटी के दावों का एक वायरल वीडियो प्रशासन की असफलता को उजागर करता है।


फायर ब्रिगेड की मदद

एंबुलेंस की अनुपस्थिति


सूत्रों के अनुसार, मीठीखाड़ी इलाके में एक वृद्ध को सीने में दर्द की शिकायत के बाद एंबुलेंस बुलाने की कोशिश की गई थी, लेकिन जलभराव के कारण एंबुलेंस का पहुंचना संभव नहीं था। ऐसे में फायरकर्मियों ने जोखिम उठाते हुए वृद्ध को सुरक्षित बाहर निकाला। उन्होंने वृद्ध को कंधे पर स्ट्रेचर उठाकर पानी से बाहर निकाला, जबकि बोट की बजाय स्ट्रेचर का उपयोग किया गया।


आपातकालीन सुविधाओं की कमी

प्रशासन की विफलता


स्थानीय निवासियों का कहना है कि प्रशासन के स्मार्ट सिटी के दावे पूरी तरह से खोखले हैं। यह सवाल उठता है कि करोड़ों रुपये खर्च करने के बावजूद आपातकालीन सुविधाएं क्यों उपलब्ध नहीं हैं? आवश्यक समय पर बोट जैसी बुनियादी सुविधाएं भी नहीं मिल रही हैं। ऐसे में स्मार्ट सिटी का क्या अर्थ रह जाता है?


स्मार्ट सिटी की वास्तविकता

बुनियादी सुविधाओं की कमी


यह सवाल उठता है कि स्मार्ट सिटी के नाम पर करोड़ों रुपये खर्च करने के बावजूद बुनियादी सुविधाएं क्यों नहीं मिल रही हैं? सूरत स्मार्ट सिटी के विकास के लिए सरकार ने 10 हजार करोड़ रुपये खर्च किए, लेकिन वास्तविकता कुछ और ही है। बारिश के बाद शहर की सड़कों पर जलजमाव एक सामान्य दृश्य बन गया है।