Newzfatafatlogo

हरियाणा के अस्पतालों ने आयुष्मान भारत योजना के तहत इलाज बंद किया

हरियाणा के 600 से अधिक निजी अस्पतालों ने आयुष्मान भारत योजना के तहत गरीब मरीजों को इलाज देना बंद कर दिया है। इसका कारण पहले के इलाज के खर्च का समय पर भुगतान न होना बताया गया है। इंडियन मेडिकल एसोसिएशन के अनुसार, सरकार पर अस्पतालों का 500 करोड़ रुपये से अधिक का बकाया है। इस योजना के तहत 41 करोड़ लाभार्थियों को आयुष्मान कार्ड जारी किए गए हैं, लेकिन इसके कार्यान्वयन में समस्याएं सामने आ रही हैं। जानें इस मुद्दे की पूरी जानकारी और इसके प्रभाव को।
 | 
हरियाणा के अस्पतालों ने आयुष्मान भारत योजना के तहत इलाज बंद किया

हरियाणा में अस्पतालों का सामूहिक निर्णय

हाल के समय में कई राज्यों से आयुष्मान भारत कार्ड पर इलाज न करने की कुछ घटनाएं सामने आई हैं, लेकिन यह संभवतः पहला अवसर है, जब किसी राज्य के अस्पतालों ने सामूहिक रूप से ऐसा निर्णय लिया हो।


हरियाणा के 600 से अधिक निजी अस्पतालों ने इस महीने से प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना (आयुष्मान भारत) के तहत गरीब मरीजों को चिकित्सा सेवाएं प्रदान करना बंद कर दिया है। इसका कारण पहले के इलाज के खर्च का समय पर भुगतान न होना बताया गया है। इंडियन मेडिकल एसोसिएशन की हरियाणा शाखा के अनुसार, 7 अगस्त तक सरकार ने अस्पतालों को केवल 245 करोड़ रुपये का भुगतान किया था, जबकि कुल बकाया 500 करोड़ रुपये से अधिक है। इससे पहले भी कई राज्यों में अस्पतालों द्वारा ऐसे कदम उठाने की सूचनाएं आई हैं, लेकिन यह संभवतः पहला मौका है जब किसी राज्य के अस्पतालों ने सामूहिक रूप से ऐसा निर्णय लिया है।


हाल ही में आरटीआई के माध्यम से प्राप्त एक जानकारी में बताया गया था कि इस वर्ष फरवरी तक देशभर में अस्पतालों का 1.12 लाख करोड़ रुपये का बकाया सरकार पर था। लगभग 64 लाख मामलों का निपटारा तब तक नहीं हुआ था। इस योजना का लाभ उठाने के लिए 32 हजार अस्पतालों को सरकारी सूची में शामिल किया गया है। 2011 की सामाजिक-आर्थिक एवं जातीय जनगणना के आधार पर वंचित श्रेणी में रखे गए लोगों को इस योजना का लाभ मिलता है। ऐसे 41 करोड़ लाभार्थियों को आयुष्मान कार्ड जारी किए गए हैं। योजना के तहत उनके इलाज पर आने वाले पांच लाख रुपये तक के खर्च का भुगतान सरकार करती है।


2018 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस योजना का उद्घाटन बड़े धूमधाम से किया था। इसे "मोदी केयर" योजना के रूप में भी प्रचारित किया गया था। यह योजना जरूरतमंद वर्गों को प्रत्यक्ष लाभ देने की मोदी सरकार की दृष्टि के तहत प्रमुख योजनाओं में से एक मानी जाती है। लेकिन इसके कार्यान्वयन की वास्तविकता उपरोक्त घटनाक्रम से स्पष्ट होती है। बीमा आधारित चिकित्सा व्यवस्था अपने आप में समस्याग्रस्त है, क्योंकि इसमें ओपीडी सुविधाएं उपलब्ध नहीं होतीं, जबकि उनकी सबसे अधिक आवश्यकता होती है। यदि मौजूदा योजनाओं का प्रभावी कार्यान्वयन नहीं होता है, तो इससे समस्या और बढ़ जाती है। वर्तमान में ऐसा ही विभिन्न राज्यों में हो रहा है।