Newzfatafatlogo

हरियाणा के किसानों के लिए राहत: 85.5 करोड़ रुपये का मुआवजा जल्द ही

हरियाणा के किसानों के लिए एक महत्वपूर्ण समाचार है, जिसमें रबी 2023-24 सीजन के फसल नुकसान के लिए 85.5 करोड़ रुपये का मुआवजा मिलने की संभावना है। केंद्र सरकार की सेंट्रल टेक्निकल एडवाइजरी कमेटी (CTAC) ने किसानों के पक्ष में निर्णय लिया है। हालांकि, मुआवजे को प्राप्त करने के लिए किसानों को कुछ आवश्यक दस्तावेज तैयार करने होंगे। जानें इस प्रक्रिया के बारे में विस्तार से और कैसे आप इस मुआवजे का लाभ उठा सकते हैं।
 | 
हरियाणा के किसानों के लिए राहत: 85.5 करोड़ रुपये का मुआवजा जल्द ही

हरियाणा के किसानों के लिए खुशखबरी

हरियाणा के किसानों के लिए एक महत्वपूर्ण समाचार है! रबी 2023-24 सीजन में फसल नुकसान के विवाद का समाधान अब हो गया है। चंडीगढ़ से मिली जानकारी के अनुसार, केंद्र सरकार की सेंट्रल टेक्निकल एडवाइजरी कमेटी (CTAC) ने किसानों के पक्ष में निर्णय लिया है, जिससे लगभग 85.5 करोड़ रुपये का मुआवजा मिलने की संभावना बन गई है। हालांकि, इस मुआवजे को प्राप्त करने के लिए किसानों को कुछ आवश्यक कदम उठाने होंगे। आइए जानते हैं इस निर्णय की पूरी जानकारी और मुआवजा प्राप्त करने की प्रक्रिया।


किसानों के लिए राहत भरा निर्णय

कृषि और किसान कल्याण मंत्रालय की CTAC ने रबी 2023-24 के फसल उपज अनुमान प्रयोगों (CCE) से संबंधित विवाद पर महत्वपूर्ण निर्णय लिया है। कमेटी ने राज्य स्तरीय टेक्निकल एडवाइजरी कमेटी (STAC) के निर्णय को सही ठहराया और इंश्योरेंस कंपनी की अपील को खारिज कर दिया।


इस निर्णय से हजारों किसानों को राहत मिलेगी, क्योंकि अब इंश्योरेंस कंपनी को एक सप्ताह के भीतर 85.5 करोड़ रुपये का मुआवजा देना होगा।


इंश्योरेंस कंपनी का विवाद क्या था?

इंश्योरेंस कंपनी ने भीवाणी में 148, चरखी दादरी में 45 और नूंह में 38 इंश्योरेंस यूनिट्स में किए गए फसल उपज अनुमान प्रयोगों पर आपत्ति जताई थी। कंपनी का कहना था कि कृषि विभाग की रिपोर्ट को स्वतंत्र जांच के बिना स्वीकार किया गया और तकनीकी नियमों का पालन नहीं हुआ।


हालांकि, सरकार ने उत्तर दिया कि फसल कटाई के समय कंपनी सह-साक्षी के रूप में मौजूद थी और उसने तब कोई शिकायत नहीं की। उपज डेटा घोषित होने के बाद ही कंपनी ने आपत्ति दर्ज की, जो कि निर्धारित समय सीमा के बाद थी।


CTAC ने अपील को क्यों खारिज किया?

CTAC ने दस्तावेजों की जांच के बाद पाया कि इंश्योरेंस कंपनी की अपील में ठोस सबूत नहीं थे और उनकी तकनीकी रिपोर्ट भी अधूरी थी। कमेटी ने स्पष्ट किया कि सैटेलाइट आधारित मॉडल जमीनी स्तर के फसल उपज अनुमान की जगह नहीं ले सकते।


इसके बाद कमेटी ने STAC के निर्णय को बरकरार रखा और इंश्योरेंस कंपनी को वास्तविक उपज डेटा के आधार पर किसानों को मुआवजा देने का आदेश दिया। पूर्व कृषि मंत्री जेपी दलाल ने कहा कि यह निर्णय किसानों के लिए एक बड़ी जीत है।


किसानों को क्या करना होगा?

इस मुआवजे को प्राप्त करने के लिए किसानों को अपने दस्तावेज और इंश्योरेंस पॉलिसी से संबंधित जानकारी तैयार रखनी होगी। जल्द ही स्थानीय कृषि विभाग या इंश्योरेंस कंपनी द्वारा भुगतान की प्रक्रिया शुरू की जाएगी।


तो अब देर न करें! अपने दस्तावेज तैयार करें और इस मुआवजे का लाभ उठाएं। यह आपके लिए एक बड़ी राहत का अवसर है!