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हरियाणा में जजों का बड़ा तबादला: 27 न्यायिक अधिकारियों के नाम शामिल

हरियाणा में दिवाली के दिन 27 न्यायिक अधिकारियों का तबादला किया गया है, जिसमें मनीष दुआ का तबादला 3 नवंबर से प्रभावी होगा। इसके साथ ही, पंजाब और हरियाणा उच्च न्यायालय ने सहायक जिला अटॉर्नी (एडीए) की भर्ती प्रक्रिया को रद्द कर दिया है। कोर्ट ने कहा कि सामान्य ज्ञान पर आधारित परीक्षा का कानूनी कौशल से कोई संबंध नहीं है। जस्टिस संदीप मौदगिल ने इस प्रक्रिया को मनमानी करार दिया है। जानें इस महत्वपूर्ण घटनाक्रम के बारे में और अधिक जानकारी।
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हरियाणा में जजों का बड़ा तबादला: 27 न्यायिक अधिकारियों के नाम शामिल

जजों के तबादले का आदेश


हरियाणा में जजों का तबादला: दिवाली के अवसर पर हरियाणा में न्यायिक अधिकारियों के तबादले की एक महत्वपूर्ण सूची जारी की गई है। पंजाब और हरियाणा उच्च न्यायालय द्वारा जारी आदेश में 27 न्यायिक अधिकारियों के नाम शामिल हैं। इस आदेश में कहा गया है कि 18वें नंबर पर मनीष दुआ को छोड़कर सभी अधिकारियों को तुरंत अपने वर्तमान कार्यभार को छोड़कर नए कार्यभार संभालने का निर्देश दिया गया है। मनीष दुआ का तबादला 3 नवंबर 2025 से प्रभावी होगा।


विशेष अदालतों की स्थापना

पंजाब और हरियाणा उच्च न्यायालय के आदेश में यह भी उल्लेख किया गया है कि पंचकूला, फरीदाबाद और गुरुग्राम में पॉक्सो अधिनियम के तहत अपराधों की सुनवाई के लिए विशेष फास्ट ट्रैक अदालतों की स्थापना की गई है। यह आदेश सुप्रीम कोर्ट द्वारा चाइल्ड रेप की घटनाओं में वृद्धि के संदर्भ में लिया गया है।


भर्ती परीक्षा रद्द

हरियाणा सरकार को एक और झटका देते हुए, पंजाब और हरियाणा उच्च न्यायालय ने राज्य के अभियोजन विभाग में सहायक जिला अटॉर्नी (एडीए) के 255 पदों के लिए भर्ती प्रक्रिया को रद्द कर दिया है। कोर्ट ने कहा कि सामान्य ज्ञान पर आधारित स्क्रीनिंग टेस्ट का कानूनी कौशल से कोई संबंध नहीं है और इसने योग्य उम्मीदवारों को अनुचित तरीके से बाहर रखा है।


जस्टिस संदीप मौदगिल का बयान

जस्टिस संदीप मौदगिल ने 36 पृष्ठों के विस्तृत आदेश में कहा कि परीक्षा का पाठ्यक्रम, जिसमें सामान्य विज्ञान, समसामयिक घटनाएं, इतिहास, भूगोल और बुनियादी गणित शामिल थे, लॉ विषय की अनदेखी करता है। उन्होंने इसे मनमानी करार दिया और कहा कि यह नौकरी की आवश्यकताओं से कोई तार्किक संबंध नहीं रखता।


भर्ती प्रक्रिया पर सवाल

जस्टिस ने कहा कि कानूनी ज्ञान से रहित उम्मीदवारों को छांटना भर्ती के मूल उद्देश्य के खिलाफ है। उन्होंने यह भी कहा कि ऐसी प्रक्रिया बिना किसी तार्किक संबंध के संचालित होती है।