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हरियाणा में धान खरीद नीति का इंतज़ार, मिलर्स ने दी चेतावनी

हरियाणा में धान खरीद का सीजन नजदीक है, लेकिन नई खरीद नीति की अनुपस्थिति ने राइस मिलर्स को सरकारी धान खरीदने से मना करने के लिए मजबूर कर दिया है। यदि नीति समय पर नहीं आई, तो किसानों को गंभीर समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है। मिलर्स ने प्रशासन से चर्चा की है और कई मांगें रखी हैं। जानें इस मुद्दे की पूरी जानकारी और किसानों की स्थिति के बारे में।
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हरियाणा में धान खरीद नीति का इंतज़ार, मिलर्स ने दी चेतावनी

धान खरीद की तैयारी में देरी

चंडीगढ़ : हरियाणा में धान खरीद का सीजन नजदीक है, लेकिन सरकार ने अब तक नई खरीद नीति जारी नहीं की है। इस स्थिति के कारण राइस मिलर्स ने सरकारी धान खरीदने से मना करने की चेतावनी दी है। यदि नई नीति नहीं आई, तो किसानों को गंभीर समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है। आइए, इस मुद्दे की पूरी जानकारी प्राप्त करते हैं और मिलर्स की मांगों पर नज़र डालते हैं।


नई धान नीति का इंतज़ार

हरियाणा में 25 सितंबर तक पीआर धान की सरकारी खरीद शुरू होने की योजना है, लेकिन केंद्र सरकार ने अब तक नई धान नीति जारी नहीं की है। इसके चलते राइस मिलर्स रजिस्ट्रेशन नहीं कर पा रहे हैं। हरियाणा राइस मिलर्स एसोसिएशन, करनाल ने स्पष्ट किया है कि बिना नीति के वे कस्टम मिल्ड राइस (सीएमआर) का काम नहीं करेंगे, जिससे किसानों को धान सीजन में कठिनाइयों का सामना करना पड़ सकता है। यदि खरीद नहीं हुई, तो किसान सड़कें जाम कर सकते हैं, लेकिन मिलर्स का कहना है कि इसमें उनकी कोई गलती नहीं होगी।


मिलर्स की प्रशासन से चर्चा

बुधवार को करनाल में राइस मिलर्स ने लघु सचिवालय में डीसी उत्तम सिंह से मुलाकात की और धान सीजन से संबंधित समस्याओं पर चर्चा की। मिलर्स ने बताया कि बिना नीति के उनके पास धान रखने की जगह और संसाधन नहीं हैं। उन्होंने प्रशासन से अनुरोध किया है कि सीजन में ट्रांसपोर्टर्स के वाहनों की चेकिंग की जाए, क्योंकि समय पर धान की ढुलाई नहीं हो पाती। इसके अलावा, मंडी में जाम की समस्या भी बनी रहती है।


धान नीति की जानकारी

केंद्र सरकार हर साल धान खरीद नीति जारी करती है, जिसमें रजिस्ट्रेशन, चावल डिलीवरी की समय सीमा और शर्तों का उल्लेख होता है। 2024 की नीति के अनुसार, अक्टूबर में अलॉट धान का 67% चावल 31 मार्च 2025 तक देना था। लेकिन 2025 की नीति न आने के कारण खरीद एजेंसियां मिलर्स के साथ करार नहीं कर पा रही हैं। मिलर्स ने यह भी सवाल उठाया है कि यदि चावल में 15% टूटा हुआ दाना (ब्रोकन) होगा, तो उसकी भरपाई कौन करेगा? पहले 25% ब्रोकन की अनुमति थी, लेकिन अब इसे 10% कर दिया गया है।


200 करोड़ का बकाया और डिफॉल्टर्स

करनाल में 2012 से 2024 तक 35 राइस मिलर्स डिफॉल्टर हो चुके हैं, जिन पर सरकार का 200 करोड़ रुपये का चावल बकाया है। इन मिलर्स ने सरकारी चावल को मार्केट में बेचकर नई फर्म बना लीं। कुछ ने बैंक से लोन लिया और उनकी मिलें सील हो चुकी हैं। कई मिलर्स के नाम पर कागजों में दिखाई गई जमीन भी असल में नहीं मिली, जिससे सरकार को भारी नुकसान हुआ है।


नवरात्रों में खरीद की संभावना

प्रदेश में नवरात्रों से धान खरीद शुरू होने की संभावना है। खाद्य एवं आपूर्ति विभाग इसकी तैयारियों में जुटा है। हालांकि, केंद्र से खरीद की तारीख का इंतज़ार है। संभावना है कि 22 सितंबर के बाद खरीद शुरू हो सकती है। हरियाणा ने 54 लाख टन धान खरीद का लक्ष्य रखा है। अभी गोदामों में 100.91 लाख टन अनाज (60.86 लाख टन गेहूं और 40.05 लाख टन चावल) भरा है, जिसे शिफ्ट करने के लिए केंद्र से आग्रह किया गया है। सीएम नायब सिंह सैनी ने केंद्रीय मंत्री प्रह्लाद जोशी से मिलकर समय से पहले खरीद शुरू करने की मांग की थी।