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हरियाणा में बाजरे की फसल पर किसानों की चिंता: भावांतर योजना से मिलेगी राहत

हरियाणा के नूंह जिले में बाजरे की फसल की आवक शुरू हो गई है, लेकिन किसानों को न्यूनतम समर्थन मूल्य नहीं मिलने से चिंता बढ़ गई है। बारिश के कारण फसल को नुकसान हुआ है, जिससे किसानों को कम दाम पर फसल बेचनी पड़ रही है। सरकार ने भावांतर भरपाई योजना के तहत नुकसान की भरपाई का आश्वासन दिया है, लेकिन केवल रजिस्ट्रेशन करने वाले किसानों को ही इसका लाभ मिलेगा। जानें इस स्थिति का पूरा विवरण और किसानों की चिंताओं के बारे में।
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हरियाणा में बाजरे की फसल पर किसानों की चिंता: भावांतर योजना से मिलेगी राहत

हरियाणा के नूंह में बाजरे की फसल की स्थिति

Bhavantar Bharpai Yojana Haryana kisan: नूंह | हरियाणा के नूंह जिले में अब बाजरे की फसल मंडियों में आना शुरू हो गया है, लेकिन किसानों के लिए यह एक निराशाजनक स्थिति है।


इस बार सरकार बाजरे की फसल को न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) पर नहीं खरीदेगी। इससे किसानों को अपनी फसल को बहुत कम दामों पर बेचना पड़ रहा है। 2023-24 की तरह, इस बार भी बाजरा प्राइवेट बाजार में बिकेगा, और MSP में होने वाले नुकसान की भरपाई भावांतर भरपाई योजना के तहत की जाएगी। आइए, इस स्थिति का विस्तार से जानते हैं।


बारिश का प्रभाव

नूंह जिले में इस वर्ष औसत से अधिक बारिश ने बाजरे की फसल को गंभीर नुकसान पहुँचाया है। अधिकांश फसलें खराब हो चुकी हैं, और जो बची हैं, उनकी गुणवत्ता भी प्रभावित हुई है।


इसका परिणाम यह है कि मंडियों में आने वाले किसानों को सरकार द्वारा निर्धारित MSP, जो कि 2725 रुपये प्रति क्विंटल है, नहीं मिल रहा। किसानों का कहना है कि उन्हें अपनी फसल 2000 से 2300 रुपये प्रति क्विंटल के दाम पर बेचनी पड़ रही है। बारिश ने पैदावार को कम किया है, और अब कम दाम मिलने से किसानों को आर्थिक नुकसान का सामना करना पड़ रहा है।


भावांतर योजना से राहत

अधिकारियों के अनुसार, सरकार की ओर से अभी तक बाजरे की सरकारी खरीद का कोई आदेश नहीं आया है। हालांकि, भावांतर भरपाई योजना के तहत नुकसान की भरपाई का निर्देश प्राप्त हुआ है। सरकार ने स्पष्ट किया है कि 2023-24 की तरह इस बार भी बाजरे की खरीद नहीं होगी।


जो किसान मेरी फसल-मेरा ब्यौरा पोर्टल पर रजिस्ट्रेशन करवा चुके हैं, केवल उन्हें इस योजना का लाभ मिलेगा। ऐसे किसानों का बाजरा मंडी में प्राइवेट स्तर पर बिकेगा, लेकिन MSP और बिक्री मूल्य के बीच का अंतर उनके बैंक खाते में जमा किया जाएगा। जो किसान रजिस्ट्रेशन नहीं करवा पाए, उन्हें इस योजना का लाभ नहीं मिलेगा और उन्हें आर्थिक नुकसान उठाना पड़ सकता है.