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हरियाणा में बिजली बिलों में 30% तक की वृद्धि, उपभोक्ताओं को झटका

हरियाणा में जून में बिजली के बिलों में 30% तक की वृद्धि ने उपभोक्ताओं को बड़ा झटका दिया है। बिजली वितरण निगम द्वारा दरों में बदलाव और फिक्स चार्ज लगाने के कारण उपभोक्ताओं को अधिक बिल चुकाने पड़ रहे हैं। उर्जा मंत्री अनिल विज ने बताया कि दाम में बदलाव का निर्णय विद्युत विनियामक आयोग द्वारा लिया जाता है। जानें इस मुद्दे पर और क्या कहा गया है।
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हरियाणा में बिजली बिलों में 30% तक की वृद्धि, उपभोक्ताओं को झटका

हरियाणा बिजली बिलों में बढ़ोतरी

हरियाणा बिजली बिल: जून में हरियाणा में बिजली के बिलों में आई वृद्धि ने उपभोक्ताओं को बड़ा झटका दिया है। हरियाणा बिजली वितरण निगम द्वारा बिजली दरों में बदलाव और प्रति किलोवाट फिक्स चार्ज लगाने के कारण उपभोक्ताओं के बिल 9 से 30 प्रतिशत तक बढ़ गए हैं। तीन किलोवॉट के कनेक्शन धारकों को 9 प्रतिशत, पांच किलोवॉट पर 12 प्रतिशत, 10 किलोवॉट पर 18 प्रतिशत और 20 किलोवॉट पर 30 प्रतिशत अधिक बिल चुकाना होगा।


वास्तव में, हरियाणा में एक अप्रैल से लागू नियमों के अनुसार, घरेलू बिजली के कैटेगरी-1 (दो किलोवाट लोड तक 0-50 और 51-100 यूनिट) और कैटेगरी-2 (पांच किलोवाट लोड तक 150 यूनिट) के उपभोक्ताओं के लिए दो नए स्लैब बनाए गए हैं। इसके साथ ही न्यूनतम मासिक शुल्क (MMC) को हटाकर पहली बार फिक्स चार्ज लगाया गया है। इसके अनुसार, 301 से 500 यूनिट खर्च करने पर 50 रुपये प्रति किलोवाट और 500 यूनिट से अधिक खर्च करने पर 75 रुपये प्रति किलोवाट फिक्स चार्ज लिया जा रहा है।


पहले घरेलू बिजली उपभोक्ताओं पर फिक्स चार्ज नहीं लगता था। पहले एमएमसी के तहत बिल आने पर उपभोक्ताओं को केवल अधिकतम राशि का भुगतान करना होता था। अब फिक्स चार्ज और बिल दोनों का भुगतान करना आवश्यक हो गया है।


पांच किलोवॉट कनेक्शन धारकों पर अधिक बोझ

जानकारी के अनुसार, सबसे अधिक प्रभाव पांच किलोवॉट के कनेक्शन धारकों पर पड़ा है। पहले प्रति माह 50 यूनिट या उससे अधिक खपत पर 2.50 रुपये से लेकर 6.30 रुपये प्रति यूनिट के हिसाब से बिल लिया जाता था, लेकिन अब उनसे 6.50 से 7.50 रुपये प्रति यूनिट तक वसूला जा रहा है। इस बदलाव से आम लोग और व्यापारी दोनों परेशान हैं।


उर्जा मंत्री अनिल विज का बयान

इस मामले में उर्जा मंत्री अनिल विज ने कहा कि दाम में वृद्धि या कमी का निर्णय विद्युत विनियामक आयोग द्वारा लिया जाता है। आयोग सभी पहलुओं की जांच करने के बाद ही निर्णय करता है।