हरियाणा में भूमि विवाद समाधान: किसानों को मिली बड़ी राहत

हरियाणा भूमि विवाद समाधान में नई पहल
Kisan News: हरियाणा भूमि विवाद समाधान में किसानों को मिली बड़ी राहत: हरियाणा सरकार ने भूमि विवादों के समाधान के लिए किसानों को एक महत्वपूर्ण सौगात दी है।
हरियाणा भूमि राजस्व (संशोधन) अधिनियम 2025 के लागू होने से पुराने भूमि विवाद अब शीघ्र सुलझाए जा सकेंगे। यह नया कानून संयुक्त परिवारों में संपत्ति के बंटवारे की जटिलताओं को समाप्त करेगा। किसानों को अपनी भूमि का पूर्ण स्वामित्व प्राप्त होगा, जिससे वे इसे खेती और विकास के लिए स्वतंत्र रूप से उपयोग कर सकेंगे। यह कदम हरियाणा के किसानों के लिए समृद्धि का नया युग लाएगा। आइए, इस कानून की विशेषताओं पर नजर डालते हैं।
भूमि विवादों का त्वरित समाधान
भूमि विवादों का त्वरित समाधान Kisan News: पहले संयुक्त परिवारों में भूमि के बंटवारे के लिए सभी सह-मालिकों की सहमति आवश्यक थी। यदि भाई-बहनों या रिश्तेदारों में कोई असहमति होती, तो बंटवारा रुक जाता।
इस कारण कई परिवार वर्षों तक अदालतों के चक्कर काटते रहते थे। नया संशोधन इन जटिलताओं को समाप्त करता है। अब सरकार असहमति के बावजूद बंटवारे की प्रक्रिया को तेजी से पूरा कर सकती है। यह कानून भूमि प्रशासन को सरल और पारदर्शी बनाएगा, जिससे किसानों को लंबी कानूनी लड़ाई से मुक्ति मिलेगी।
किसानों को स्वामित्व का अधिकार
किसानों को स्वामित्व का अधिकार: डॉ. मिश्रा, एक वरिष्ठ अधिकारी, ने बताया कि यह अधिनियम भूमि स्वामियों को उनकी भूमि पर पूर्ण स्वामित्व देगा। इससे किसान अपनी भूमि का स्वतंत्र उपयोग कर सकेंगे। पहले संयुक्त स्वामित्व के कारण कई किसान अपनी भूमि पर मनचाहा विकास या खेती नहीं कर पाते थे।
अब यह कानून उन्हें आर्थिक स्वतंत्रता प्रदान करेगा। यह कदम न केवल किसानों की आय बढ़ाएगा, बल्कि ग्रामीण अर्थव्यवस्था को भी मजबूत करेगा। हरियाणा के गांवों में खुशहाली की नई लहर आएगी।
कोर्ट के बोझ में कमी
कोर्ट के बोझ में कमी: हरियाणा भूमि विवाद समाधान के लिए यह संशोधन अदालतों में लंबित मामलों की संख्या को कम करेगा। पहले भूमि विवादों के कारण हजारों मामले अदालतों में अटके रहते थे।
नया कानून प्रशासनिक स्तर पर ही इन विवादों को निपटाने की व्यवस्था प्रदान करता है। इससे समय और संसाधनों की बचत होगी। किसानों को अब अपने हक के लिए वर्षों तक इंतजार नहीं करना पड़ेगा। यह पहल हरियाणा सरकार की नागरिक-केंद्रित नीतियों का हिस्सा है, जो किसानों के हितों को प्राथमिकता देती है।