हरियाणा में सनातन एकता पदयात्रा का तीसरा दिन: फरीदाबाद से पलवल की ओर बढ़ी यात्रा
धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री से सीएम नायब सैनी की मुलाकात
फरीदाबाद: बागेश्वर धाम के प्रमुख धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री की सनातन एकता पदयात्रा का आज हरियाणा में तीसरा दिन है। यह यात्रा सुबह 8 बजे से शुरू हुई और आज यह जिले के सीकरी गांव से प्रारंभ हुई। यात्रा दोपहर में पृथला में भोजन के लिए रुकेगी और फिर पलवल जिले में प्रवेश करेगी, जहां बाघोल में रात्रि विश्राम होगा।
धीरेंद्र शास्त्री का बयान
पदयात्रा के दूसरे दिन, धीरेंद्र शास्त्री ने हिंदुओं से भारतीय सेना को दान देने की अपील की, ताकि अधिक गोला-बारूद जुटाया जा सके और पाकिस्तान को उड़ा दिया जा सके। उन्होंने कहा कि देश में एक क्रांति होने वाली है और धर्म विरोधी ताकतें देश को बर्बाद कर रही हैं। इस दौरान हरियाणा के मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी ने भी सीकरी गांव में धीरेंद्र शास्त्री से मुलाकात की।
यात्रा की शुरुआत
धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री की यह पदयात्रा 7 नवंबर को दिल्ली से शुरू हुई थी। शनिवार को यात्रा ने अरावली के मांगर कट से फरीदाबाद में प्रवेश किया, जहां केंद्रीय मंत्री मनोहर लाल खट्टर ने उनका स्वागत किया। धीरेंद्र शास्त्री ने इस अवसर पर जातियों के अहंकार को समाप्त करने और सभी को एक धागे में पिरोने की बात की।
यात्रा में शामिल हुए मशहूर चेहरे
इस यात्रा में पूर्व क्रिकेटर शिखर धवन भी शामिल हुए। धीरेंद्र शास्त्री ने शिखर से जमीन पर बैठकर बातचीत की। इसके बाद, डब्ल्यूडब्ल्यूई रेसलर दलीप राणा उर्फ ग्रेट खली भी यात्रा में शामिल हुए, और धीरेंद्र शास्त्री ने उनका हाथ पकड़कर चलने का मौका दिया।
धीरेंद्र शास्त्री के साथ कथावाचक अनिरुद्धाचार्य
यात्रा के दूसरे दिन, धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री की पदयात्रा फरीदाबाद के दशहरा ग्राउंड से शुरू हुई, जिसमें कथावाचक अनिरुद्धाचार्य भी शामिल रहे। उन्होंने भगवा ध्वज फहराकर सनातन के जयकारे लगाए। सीकरी गांव के शगुन गार्डन में यात्रा का रात्रि ठहराव हुआ।
सुरक्षा घेरा तोड़कर पहुंचे भक्त
यात्रा के दौरान, एक युवक सुरक्षा घेरा तोड़कर धीरेंद्र शास्त्री के पास पहुंचने की कोशिश कर रहा था, जिसे सुरक्षाकर्मियों ने पकड़ लिया। धीरेंद्र शास्त्री ने उसे अपने पास बुलाया, जहां उसने बताया कि वह उनका भक्त है। कुछ अन्य युवक धीरेंद्र शास्त्री को देखने के लिए क्रेन पर चढ़ गए। यह यात्रा 16 नवंबर को बाँके बिहारी मंदिर, वृंदावन (उत्तर प्रदेश) में समाप्त होगी।
