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हिमाचल प्रदेश में सीबीएसई स्कूलों के लिए अस्थायी शिक्षकों की भर्ती की तैयारी

हिमाचल प्रदेश में सीबीएसई से संबद्ध सरकारी स्कूलों में शिक्षकों की कमी को दूर करने के लिए राज्य सरकार ने अस्थायी शिक्षकों की भर्ती की प्रक्रिया शुरू करने का निर्णय लिया है। मुख्यमंत्री सुखविंद्र सिंह सुक्खू की घोषणा के बाद शिक्षा विभाग ने इस संबंध में प्रस्ताव तैयार करना शुरू कर दिया है। शिक्षकों की नियुक्ति पांच साल के लिए की जाएगी, और चयन प्रक्रिया पूरी तरह से परीक्षा के माध्यम से होगी। इस पहल का उद्देश्य स्कूलों में शिक्षकों की कमी को दूर करना और भविष्य की स्थायी नीति के लिए समय प्रदान करना है।
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हिमाचल प्रदेश में सीबीएसई स्कूलों के लिए अस्थायी शिक्षकों की भर्ती की तैयारी

सीबीएसई स्कूलों में शिक्षकों की कमी को पूरा करने की पहल

शिमला: हिमाचल प्रदेश में केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड (सीबीएसई) से जुड़े सरकारी स्कूलों में शिक्षकों की कमी को दूर करने के लिए राज्य सरकार एक महत्वपूर्ण कदम उठाने जा रही है। मुख्यमंत्री सुखविंद्र सिंह सुक्खू ने इस संबंध में घोषणा की है, जिसके तहत शिक्षा विभाग अस्थायी शिक्षकों की भर्ती के लिए एक प्रस्ताव तैयार कर रहा है। इस प्रस्ताव के अनुसार, शिक्षकों की नियुक्ति पांच साल की अवधि के लिए की जाएगी।


सीबीएसई स्कूलों में शिक्षकों का चयन पूरी तरह से परीक्षा के माध्यम से किया जाएगा, ताकि योग्य और विषय विशेषज्ञ शिक्षक स्कूलों में कार्य कर सकें। इसके साथ ही, अस्थायी शिक्षकों की भर्ती भी की जाएगी। इस भर्ती से संबंधित शैक्षणिक योग्यता, अनुभव, मानदेय और सेवा शर्तों को विभागीय अधिकारी इस समय अंतिम रूप दे रहे हैं। सरकारी स्तर पर यह माना जा रहा है कि सीबीएसई स्कूलों में पढ़ाई का स्तर और मूल्यांकन प्रणाली राज्य बोर्ड से भिन्न है।


इसलिए, शिक्षकों की नियुक्ति के लिए एक अलग प्रक्रिया अपनाना आवश्यक है। अस्थायी भर्ती के बावजूद, चयन प्रक्रिया को पारदर्शी और प्रतिस्पर्धी बनाने पर जोर दिया जा रहा है। सूत्रों के अनुसार, प्रस्ताव को अंतिम रूप देने के बाद इसे मंत्रिमंडल की मंजूरी के लिए प्रस्तुत किया जाएगा। मंजूरी मिलने पर भर्ती प्रक्रिया शुरू की जाएगी। सरकार का लक्ष्य है कि सीबीएसई स्कूलों में विषयवार शिक्षकों की कमी न रहे। पांच साल की अवधि के लिए अस्थायी नियुक्तियों से स्कूलों को समय पर शिक्षक मिल सकेंगे, जबकि सरकार को भविष्य की स्थायी नीति बनाने के लिए भी पर्याप्त समय मिलेगा।