हिसार विश्वविद्यालय में छात्रों पर लाठीचार्ज: विवाद की जड़ें और प्रतिक्रिया

हिसार विश्वविद्यालय में लाठीचार्ज: छात्रों पर हमला क्यों हुआ?
हिसार विश्वविद्यालय में लाठीचार्ज ने चौधरी चरण सिंह हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय को चर्चा का विषय बना दिया है। मंगलवार की रात, जब छात्र अपनी स्कॉलरशिप की मांगों को लेकर शांतिपूर्ण तरीके से प्रदर्शन कर रहे थे, तब सुरक्षा गार्ड्स ने उन पर लाठीचार्ज कर दिया। इस घटना में 20 से अधिक छात्र घायल हुए, जिनमें से छह को सिविल अस्पताल में भर्ती कराना पड़ा। छात्रों का आरोप है कि उनकी आवाज को दबाने के लिए हिंसा का सहारा लिया गया। आखिरकार, इस विवाद की असली वजह क्या है?
छात्रों की मांग और पहले टकराव का विवरण
दोपहर के समय, छात्र स्कॉलरशिप नीति में बदलाव के विरोध में वाइस चांसलर से मिलने पहुंचे। वे अपनी मांगों का ज्ञापन सौंपना चाहते थे, लेकिन सुरक्षा गार्ड्स ने उन्हें VC कार्यालय के बाहर ही रोक दिया। गुस्साए छात्रों ने धरना शुरू कर दिया। छात्रों का कहना है कि सुरक्षा गार्ड्स ने न केवल उन्हें धक्का दिया, बल्कि कुछ के साथ मारपीट भी की। एक वीडियो में देखा गया कि सुरक्षा गार्ड्स ने एक छात्र को पकड़कर पीटा, जिससे माहौल और भी तनावपूर्ण हो गया।
रात का प्रदर्शन और लाठीचार्ज की घटना
दिन की घटना से नाराज छात्र रात को VC आवास के बाहर इकट्ठा हुए। जैसे ही VC की गाड़ी आई, छात्रों ने नारेबाजी शुरू कर दी। सुरक्षा गार्ड्स ने उन्हें हटाने की कोशिश की, लेकिन स्थिति बिगड़ गई। छात्रों का आरोप है कि सुरक्षा इंचार्ज सुखबीर सिंह और रजिस्ट्रार पवन कुमार के नेतृत्व में लाठीचार्ज किया गया। कई छात्रों को गंभीर चोटें आईं, जिनमें सिर पर टांके लगाने की आवश्यकता पड़ी। यह हिंसा छात्रों के लिए एक बड़ा सदमा बन गई।
पुलिस की कार्रवाई और FIR दर्ज
छात्रों की शिकायत पर पुलिस ने तुरंत कार्रवाई की। सिविल लाइन थाना पुलिस ने सुरक्षा इंचार्ज सुखबीर सिंह, रजिस्ट्रार पवन कुमार, और प्रोफेसर राधेश्याम सहित आठ लोगों के खिलाफ विभिन्न धाराओं के तहत FIR दर्ज की। छात्र दीपांशु ने बताया कि रजिस्ट्रार ने उनके हाथ पर डंडा मारा, जबकि प्रोफेसर राधेश्याम ने उनके सिर पर हमला किया। पुलिस मामले की जांच कर रही है, लेकिन छात्रों में आक्रोश अभी भी बना हुआ है।
शिक्षा जगत में हलचल और संवाद की आवश्यकता
यह घटना न केवल हिसार विश्वविद्यालय में लाठीचार्ज के रूप में चर्चा में है, बल्कि यह सवाल भी उठाती है कि क्या शैक्षणिक संस्थानों में छात्रों की आवाज को सुना जा रहा है? स्कॉलरशिप और सीटों से जुड़ी मांगें लंबे समय से अनसुनी हैं। छात्रों का कहना है कि वे अपनी बात रखने के लिए मजबूरन प्रदर्शन कर रहे हैं। इस घटना ने विश्वविद्यालय प्रशासन की कार्यशैली पर भी सवाल उठाए हैं। क्या यह हिंसा छात्रों और प्रशासन के बीच संवाद की कमी को दर्शाती है?
इस घटना ने शिक्षा जगत में हलचल मचा दी है। छात्रों की सुरक्षा और उनकी मांगों पर गंभीरता से विचार करना अब आवश्यक हो गया है। हिसार विश्वविद्यालय में लाठीचार्ज की यह कहानी न केवल हिसार, बल्कि पूरे देश के लिए एक सबक है कि शिक्षा और संवाद के बीच हिंसा की कोई जगह नहीं होनी चाहिए।