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हैदराबाद में लव जिहाद का मामला: एक हिंदू लड़की का धर्म परिवर्तन

हैदराबाद में लव जिहाद के एक मामले में एक पाकिस्तानी व्यक्ति पर आरोप है कि उसने एक हिंदू महिला का जबरन धर्म परिवर्तन कराया। इस मामले ने कानूनी और सामाजिक मुद्दों को जन्म दिया है, जिसमें व्यक्तिगत स्वतंत्रता और धर्म परिवर्तन के अधिकार पर बहस हो रही है। जानें इस मामले की पूरी कहानी और सुप्रीम कोर्ट के महत्वपूर्ण फैसले के बारे में।
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हैदराबाद में लव जिहाद का मामला: एक हिंदू लड़की का धर्म परिवर्तन

हैदराबाद में लव जिहाद का मामला

हैदराबाद में लव जिहाद: हाल ही में हैदराबाद से एक लव जिहाद का मामला सामने आया है। एक पाकिस्तानी व्यक्ति पर आरोप है कि उसने अपनी पहचान छिपाकर एक हिंदू महिला को प्रेम जाल में फंसाया और फिर उसका जबरन धर्म परिवर्तन कराया। कीर्ति ने 2016 में उससे विवाह किया था, लेकिन अब फवाह ने उसे छोड़ दिया है और दूसरी महिला के साथ रह रहा है। एक पुलिस अधिकारी के अनुसार, कीर्ति ने बताया कि फवाह ने उसके धर्म को बदलने के लिए दबाव डाला।


‘लव जिहाद’ शब्द पिछले कुछ वर्षों में भारत में काफी चर्चा का विषय बन गया है। इसमें एक मुस्लिम पुरुष गैर-मुस्लिम महिलाओं, विशेषकर हिंदू महिलाओं, को प्रेम या विवाह के बहाने लुभाकर उनका धर्म परिवर्तन करवाने का आरोप लगाया जाता है। इस शब्द को पहली बार 2007 में हिंदू जनजागृति समिति द्वारा प्रचारित किया गया था, और 2009 में यह तब सुर्खियों में आया जब केरल में दो गैर-मुस्लिम लड़कियों ने मुस्लिम पुरुषों के साथ विवाह किया।


कानूनी स्थिति और मामले


कई राज्यों में ‘लव जिहाद’ को रोकने के लिए विशेष कानून बनाए गए हैं। उत्तर प्रदेश में 2020 में लागू ‘गैरकानूनी धर्म परिवर्तन निषेध अध्यादेश’ इसका एक प्रमुख उदाहरण है। इस कानून के तहत, छल, जबरदस्ती या प्रलोभन के माध्यम से धर्म परिवर्तन पर रोक लगाई गई है। नवंबर 2020 से जुलाई 2024 तक, उत्तर प्रदेश में इस कानून के तहत 835 मामले दर्ज किए गए और 1,682 लोगों को गिरफ्तार किया गया।


सुप्रीम कोर्ट और विभिन्न उच्च न्यायालयों ने इस मुद्दे पर व्यक्तिगत स्वतंत्रता को प्राथमिकता दी है। उदाहरण के लिए, 2018 के हदिया मामले में सुप्रीम कोर्ट ने स्पष्ट किया कि वयस्क व्यक्तियों को अपनी पसंद का धर्म और जीवनसाथी चुनने का अधिकार है।


हदिया मामला (2018)


केरल की हदिया (जिसका नाम पहले अखिला था) ने इस्लाम अपनाकर शफीन जहां से विवाह किया था। उनके पिता ने इसे ‘लव जिहाद’ का मामला बताते हुए केरल उच्च न्यायालय में याचिका दायर की, जिसने विवाह को रद्द कर दिया। हालांकि, सुप्रीम कोर्ट ने 2018 में हदिया के विवाह और धर्म चुनने के अधिकार को बहाल किया, यह कहते हुए कि व्यक्तिगत स्वतंत्रता का सम्मान किया जाना चाहिए।


संचिता गुप्ता बनाम सुदीप गुप्ता (2018)


दिल्ली उच्च न्यायालय ने एक अंतर-धार्मिक विवाह को वैध ठहराया, यह कहते हुए कि महिला की धर्म परिवर्तन और विवाह की पसंद व्यक्तिगत थी।


जहांआरा बनाम केरल राज्य (2021)


केरल उच्च न्यायालय ने एक अन्य मामले में महिला के अपने पार्टनर और धर्म चुनने के अधिकार को मान्यता दी। ‘लव जिहाद’ कानूनों की आलोचना इस आधार पर की जाती है कि वे व्यक्तिगत स्वतंत्रता, गोपनीयता, और जीवनसाथी चुनने के अधिकार का उल्लंघन करते हैं।