अमेरिकी उपराष्ट्रपति ने मोदी से तनाव कम करने के लिए की बातचीत
जब भारत और पाकिस्तान के बीच तनाव बढ़ रहा था, अमेरिकी उपराष्ट्रपति जेडी वेंस ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से बातचीत की। इस कॉल के दौरान, वेंस ने युद्ध विराम की दिशा में कदम उठाने की आवश्यकता पर जोर दिया। अमेरिका ने इस स्थिति को गंभीरता से लिया और ट्रंप प्रशासन के अधिकारियों ने तुरंत कार्रवाई की। जानें इस महत्वपूर्ण बातचीत के पीछे की पूरी कहानी और अमेरिका की भूमिका के बारे में।
May 11, 2025, 12:10 IST
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भारत-पाकिस्तान तनाव के बीच अमेरिकी हस्तक्षेप
सीएनएन की एक रिपोर्ट के अनुसार, जब भारत और पाकिस्तान के बीच तनाव अपने चरम पर था, अमेरिकी उपराष्ट्रपति जेडी वेंस ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से सीधे संपर्क किया। यह कदम युद्ध विराम की दिशा में बातचीत को प्रोत्साहित करने के लिए उठाया गया। रिपोर्ट में बताया गया है कि शुक्रवार की सुबह अमेरिका को 'खतरनाक खुफिया जानकारी' प्राप्त हुई, जिसके बाद ट्रंप प्रशासन के शीर्ष अधिकारियों ने तुरंत कार्रवाई की। इनमें वेंस, अंतरिम राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार, विदेश मंत्री मार्को रुबियो और व्हाइट हाउस की चीफ ऑफ स्टाफ सूजी विल्स शामिल थे।
सीएनएन के अनुसार, जेडी वेंस ने पीएम मोदी को कॉल करने से पहले राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप को इस स्थिति की जानकारी दी। फोन कॉल के दौरान, वेंस ने पीएम मोदी को सप्ताहांत में 'नाटकीय वृद्धि की उच्च संभावना' के बारे में चिंता व्यक्त की। अमेरिका का मानना था कि परमाणु-सशस्त्र पड़ोसी देश संवाद में नहीं थे और उन्हें बातचीत फिर से शुरू करने के लिए अपनी भूमिका निभाने की आवश्यकता थी। इस कॉल के माध्यम से वेंस ने तनाव कम करने और शांति स्थापित करने के प्रयासों को बढ़ावा देने की कोशिश की।
अमेरिकी उपराष्ट्रपति का नया रुख
जेडी वेंस का यह बयान उनके पिछले रुख से भिन्न था, जब उन्होंने कहा था कि अमेरिका ऐसे युद्ध में शामिल नहीं होगा जो 'मूल रूप से हमारा कोई काम नहीं है'। फॉक्स न्यूज पर वेंस ने कहा था कि अमेरिका तनाव कम करने के लिए प्रयास कर सकता है, लेकिन युद्ध में शामिल नहीं होगा। सीएनएन की रिपोर्ट के अनुसार, वेंस ने पीएम मोदी से पाकिस्तान से सीधे जुड़ने और 'तनाव कम करने के विकल्पों पर विचार करने' का आग्रह किया। वेंस ने पीएम मोदी के साथ तालमेल बिठाया, जो अमेरिकी हस्तक्षेप के लिए सहायक हुआ।
ट्रंप प्रशासन की भूमिका
सीएनएन की रिपोर्ट के अनुसार, मार्को रुबियो और विदेश विभाग के अन्य अधिकारियों ने नई दिल्ली और इस्लामाबाद में अपने समकक्षों से संपर्क किया। ट्रम्प प्रशासन की भूमिका दोनों देशों के बीच बातचीत को सुविधाजनक बनाने तक सीमित थी, वे खुद वार्ता का हिस्सा नहीं थे।