क्या जम्मू-कश्मीर में बढ़ते तनाव के बीच बातचीत की जरूरत है? कांग्रेस नेताओं के विवादास्पद बयान
जम्मू-कश्मीर में आतंकी हमले के बाद कांग्रेस का बयान
हाल ही में पहलगाम में हुए आतंकी हमले के बाद भारत और पाकिस्तान के बीच बढ़ते तनाव के बीच, जम्मू-कश्मीर प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष तारिक हमीद कर्रा ने एक विवादास्पद बयान दिया है। विधानसभा के बाहर मीडिया से बातचीत करते हुए कर्रा ने भारत-पाकिस्तान के बीच संवाद की आवश्यकता पर जोर दिया और कहा कि दोनों देशों को शांति बनाए रखने की कोशिश करनी चाहिए। उन्होंने कहा, "मैं दोनों पक्षों से शांत रहने की अपील करता हूं और जो भी करना है, वह बातचीत के माध्यम से होना चाहिए।" इस बयान ने पार्टी में हलचल पैदा कर दी, क्योंकि पार्टी नेतृत्व ने सभी नेताओं को ऐसे बयानों से बचने की सलाह दी थी जो पार्टी की नीति के खिलाफ हों।
स्थानीय गाइडों की सराहना
स्थानीय पोनीवालों और गाइडों की तारीफ
कर्रा ने स्थानीय पोनीवालों और गाइडों की सराहना की, जिनकी त्वरित कार्रवाई ने कई लोगों की जान बचाई। उन्होंने कहा कि पोनीवालों की मदद से मौतों की संख्या काफी कम रही। यदि उन्होंने समय पर सहायता नहीं की होती, तो स्थिति और भी गंभीर हो सकती थी। हमें उनके प्रति आभार व्यक्त करना चाहिए।
कांग्रेस विधायक का समर्थन
कांग्रेस विधायक निजामुद्दीन भट ने उठाई आवाज
कांग्रेस विधायक निजामुद्दीन भट ने भी भारत-पाक वार्ता के पक्ष में अपनी आवाज उठाई, लेकिन यह स्पष्ट किया कि राष्ट्रीय सुरक्षा से समझौता नहीं किया जा सकता। उन्होंने कहा, "हम लोकतंत्र हैं, हम गुटनिरपेक्ष देश हैं और युद्ध नहीं चाहते, लेकिन राष्ट्रीय सुरक्षा से समझौता नहीं किया जा सकता।"
सैफुद्दीन सोज का विवादास्पद बयान
सैफुद्दीन सोज के बयान ने खड़ा किया विवाद
पूर्व केंद्रीय मंत्री सैफुद्दीन सोज के बयान ने भी विवाद को जन्म दिया। उन्होंने सिंधु जल संधि के संदर्भ में कहा कि यह पाकिस्तान के लिए जीवन रेखा है। यदि पाकिस्तान कहता है कि पहलगाम हमले में उसका हाथ नहीं था, तो हमें इसे मान लेना चाहिए। इस बयान ने राजनीतिक हलकों में और चर्चाओं को जन्म दिया है।