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क्या मणि शंकर अय्यर का बयान आतंकवाद और विभाजन के बीच संबंध को उजागर करता है?

कांग्रेस नेता मणि शंकर अय्यर ने पहलगाम में हुए आतंकवादी हमले को 1947 के विभाजन से जोड़ते हुए विवादित बयान दिया है। बीजेपी ने इस पर तीखी प्रतिक्रिया व्यक्त की है, आरोप लगाते हुए कि अय्यर कांग्रेस की ढीली नीति को उजागर कर रहे हैं। इस बयान ने राजनीतिक विवाद को जन्म दिया है, जिसमें विभाजन के मुद्दे को उठाया गया है। जानें इस बयान का क्या महत्व है और इसके पीछे की सच्चाई क्या है।
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पहलगाम हमले पर मणि शंकर अय्यर का विवादित बयान

पहलगाम में हाल ही में हुए आतंकवादी हमले के संदर्भ में कांग्रेस नेता मणि शंकर अय्यर ने इसे विभाजन के अनसुलझे मुद्दों का परिणाम बताया है। उनके इस बयान ने बीजेपी का ध्यान खींचा है, जिसमें उन्होंने इस हमले को 1947 के विभाजन से जोड़ते हुए सवाल उठाए हैं। बीजेपी ने अय्यर के इस बयान को पीड़ितों के जख्मों पर नमक छिड़कने के समान बताया और इस पर तीखी प्रतिक्रिया दी।


बीजेपी का मणि शंकर अय्यर पर हमला

बीजेपी के नेताओं ने मणि शंकर अय्यर पर आरोप लगाया है कि वे कांग्रेस की पाकिस्तान और आतंकवाद के प्रति ढीली नीति को उजागर कर रहे हैं। उनका यह बयान भारतीय प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू की नीतियों पर सवाल उठाने जैसा है। इस प्रकार, अय्यर का बयान कांग्रेस के लिए एक और राजनीतिक विवाद का कारण बन गया है, जिसमें विभाजन के मुद्दे को उठाया गया है।


1947 का विभाजन और आतंकवाद का संबंध

कांग्रेस नेता मणि शंकर अय्यर ने एक पुस्तक विमोचन कार्यक्रम में कहा कि क्या आज भारत में मुस्लिमों को स्वीकार किया जाता है और उनकी कद्र की जाती है, या फिर विभाजन के समय जैसी स्थिति अब भी बनी हुई है? उन्होंने यह भी कहा कि विभाजन उस समय हुआ जब महात्मा गांधी, पंडित नेहरू, जिन्ना और अन्य मुस्लिम नेताओं के बीच भारतीय राष्ट्रवाद और सभ्यता को लेकर मतभेद थे। लेकिन सच्चाई यह है कि विभाजन हुआ और आज भी हम इसके परिणामों का सामना कर रहे हैं। क्या हमें इस तरह जीना चाहिए? क्या ये अनसुलझे सवाल हैं जो पहलगाम में 22 अप्रैल को हुए हमले में दिखाई देते हैं?


बीजेपी का आरोप: कांग्रेस ने हमेशा पाकिस्तान को बचाया

बीजेपी नेता नलिन कोहली ने मणि शंकर अय्यर के बयान पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि वह एक अनुभवी नेता हैं, जो दशकों से कांग्रेस के कट्टर समर्थक रहे हैं। जब वह आतंकवाद के मुद्दे को 1947 से जोड़ते हैं, तो यह इस बात का ईमानदार स्वीकार है कि 1947 में कई मुद्दे अनसुलझे थे। उन्होंने यह भी कहा कि अय्यर इस तरह से पंडित नेहरू और उनकी नीतियों पर सवाल उठा रहे हैं।