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जम्मू-कश्मीर में आतंकी हमले ने भारत-पाक संबंधों को फिर से तनाव में डाला

जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हाल ही में हुए आतंकी हमले ने भारत-पाकिस्तान के रिश्तों को एक बार फिर से तनाव में डाल दिया है। इस हमले में 26 पर्यटकों की जान गई और 20 से अधिक लोग घायल हुए। 'द रेजिस्टेंस फ्रंट' (TRF) ने इस हमले की जिम्मेदारी ली है, जिसे लश्कर-ए-तैयबा का हिस्सा माना जाता है। पाकिस्तान ने इस हमले में अपनी संलिप्तता से इनकार किया है, लेकिन यह घटनाक्रम एक पुरानी रणनीति की पुनरावृत्ति प्रतीत होता है। जानें इस हमले के पीछे की सच्चाई और इसके संभावित प्रभाव।
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आतंकी हमले का प्रभाव

हाल ही में जम्मू-कश्मीर के पहलगाम स्थित बैसरन घाटी में हुए एक आतंकी हमले ने भारत और पाकिस्तान के बीच के रिश्तों को एक बार फिर से तनावपूर्ण बना दिया है। इस हमले में 26 निर्दोष पर्यटकों की जान गई और 20 से अधिक लोग घायल हुए। जिस स्थान को लोग शांति और सुकून के लिए चुनते थे, वह अब एक खौफनाक स्थल बन गया है।


आतंकी संगठन की जिम्मेदारी

इस हमले की जिम्मेदारी 'द रेजिस्टेंस फ्रंट' (TRF) नामक आतंकी समूह ने ली है, जिसे लश्कर-ए-तैयबा का एक हिस्सा माना जाता है। यह समूह पाकिस्तान की गुप्त सैन्य एजेंसियों द्वारा समर्थित होने का संदेह भी रखता है। पाकिस्तान ने हमेशा की तरह इस हमले में अपनी संलिप्तता से इनकार किया है, लेकिन यह घटनाक्रम एक पुरानी रणनीति की पुनरावृत्ति प्रतीत होता है।


पाकिस्तान के अस्तित्व का खतरा

यह घटना 1993 में अमेरिका की केंद्रीय खुफिया एजेंसी (CIA) द्वारा तैयार किए गए गुप्त दस्तावेज की भविष्यवाणी को साकार करती नजर आ रही है। उस दस्तावेज़ में कहा गया था कि पाकिस्तान भारत को केवल सैन्य या आर्थिक दृष्टि से नहीं, बल्कि एक 'अस्तित्वगत खतरे' के रूप में देखता है। रिपोर्ट में चेतावनी दी गई थी कि भविष्य में भारत और पाकिस्तान के बीच संघर्ष कश्मीर से शुरू हो सकता है, जिसमें पाकिस्तान को प्रारंभिक रणनीतिक नुकसान उठाना पड़ेगा।


LoC पर बढ़ता तनाव

वर्तमान में, भारतीय खुफिया एजेंसियां TRF के पीछे पाकिस्तान की गुप्त राज्य की भूमिका को लेकर सतर्क हैं। इस आतंकी हमले के बाद, भारत ने अपनी कूटनीतिक और सैन्य रणनीति को तेज कर दिया है। पाकिस्तान की ओर से लगातार संघर्षविराम उल्लंघन की घटनाएं सामने आ रही हैं, जिससे LoC पर तनाव और बढ़ गया है।


युद्ध की संभावना

विशेषज्ञों का मानना है कि यह हमला केवल एक आतंकी घटना नहीं है, बल्कि भारत को रणनीतिक रूप से अस्थिर करने की एक सोची-समझी साजिश है। सीआईए की रिपोर्ट में जिस 'संपूर्ण युद्ध की संभावना' की बात की गई थी, वह आज की परिस्थितियों में अत्यंत प्रासंगिक प्रतीत हो रही है। तीन दशकों बाद भी 1993 की वह चेतावनी आज के हालात में एक जीवंत दस्तावेज बनकर खड़ी है, न केवल अतीत की गवाही के रूप में, बल्कि वर्तमान के लिए एक गंभीर संकेत भी।