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जिला कलक्टर ने भूमि रजिस्ट्री शुल्क में की वृद्धि, आम जनता में नाराजगी

जिला कलक्टर ने भूमि रजिस्ट्री शुल्क में दोगुनी वृद्धि का आदेश दिया है, जिससे आम जनता में नाराजगी फैल गई है। बाढड़ा अधिवक्ता संघ और अन्य सामाजिक संगठनों ने इस निर्णय का विरोध किया है और इसे वापस लेने की मांग की है। नए आदेश के अनुसार, अब भूमि रजिस्ट्री के लिए 1000 रुपये का भुगतान करना होगा, जो गरीबों पर अतिरिक्त बोझ डालेगा। जानें इस मुद्दे पर और क्या प्रतिक्रियाएं आई हैं और इसके पीछे के कारण क्या हैं।
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जिला कलक्टर ने भूमि रजिस्ट्री शुल्क में की वृद्धि, आम जनता में नाराजगी

सामाजिक संगठनों की मांग


  • सामाजिक संगठनों ने बढा हुआ डीड शुल्क वापस लेने की मांग की


(Charkhi Dadri News) बाढड़ा। जिला उपायुक्त कार्यालय ने राजस्व विभाग के डीड शुल्क में दोगुनी वृद्धि की है, जिस पर बाढड़ा अधिवक्ता संघ, जिला नंबरदार एसोसिएशन और स्टांप वेंडर एसोसिएशन ने कड़ा विरोध जताया है। इन संगठनों ने चेतावनी दी है कि यदि यह निर्णय वापस नहीं लिया गया, तो वे काम बंद कर देंगे।


कस्बे के तहसील कार्यालय में आयोजित बैठक में अध्यक्ष संजीव श्योराण ने कहा कि जिला प्रशासन ने सुविधाओं की कमी के बावजूद डीड शुल्क बढ़ाने का निर्णय लिया है, जो अस्वीकार्य है।


वरिष्ठ अधिवक्ता अशोक श्योराण और अनिल मान ने कहा कि जब प्रदेश सरकार ने कलक्टर दरों में वृद्धि पर रोक लगा दी है, तो जिला प्रशासन द्वारा डीड शुल्क में वृद्धि करना अन्याय है। सभी अधिवक्ता और नंबरदार एसोसिएशन ने इस निर्णय का विरोध करते हुए इसे वापस लेने की अपील की है।


नए शुल्क का प्रभाव

प्रति फाईल 500 रुपये का बोझ बढ़ेगा


जिला कलक्टर ने आदेश दिया है कि राजस्व विभाग के तहत भूमि की खरीद-फरोख्त और डीड रजिस्ट्री शुल्क में दोगुनी वृद्धि की जाएगी। अब हर व्यक्ति को भूमि रजिस्ट्री के लिए 500 रुपये की जगह 1000 रुपये का भुगतान करना होगा, जो गरीबों पर अतिरिक्त बोझ डालेगा।


25 अप्रैल को जिला उपायुक्त ने राजस्व विभाग के अधिकारियों को निर्देश दिए कि भूमि संबंधित शुल्क में वृद्धि आवश्यक है। इस आदेश के अनुसार, सभी अधिकारियों को यह सुनिश्चित करने के लिए कहा गया है कि डीड रजिस्ट्री शुल्क 500 रुपये से बढ़ाकर 1000 रुपये किया जाए।


यह नया शुल्क 28 अप्रैल से लागू होगा, जिससे आम जनता को भूमि संबंधित कार्यों के लिए अधिक पैसे खर्च करने होंगे। जिला प्रशासन की डीआईटीएस कमेटी को इस वृद्धि से हर महीने 20 लाख रुपये से अधिक राजस्व में बढ़ोतरी की उम्मीद है, जबकि गरीबों के लिए यह अतिरिक्त लागत बढ़ाएगा। तहसीलदार सज्जन कुमार ने बताया कि जिला उपायुक्त कार्यालय समय-समय पर शुल्कों की समीक्षा करता है, लेकिन इस बार केवल डीड शुल्क को दोगुना करने का निर्णय लिया गया है।