पहलगाम हमले के बाद पाकिस्तान की स्थिति: क्या भारत को मिलेगा जवाबी मौका?
पाकिस्तान में क्या हो रहा है?
पहलगाम में हुए आतंकी हमले के बाद, यह सवाल उठ रहा है कि पाकिस्तान की स्थिति क्या होगी। इस विषय पर चर्चा दिल्ली से लेकर इस्लामाबाद तक हो रही है। इसके अलावा, कुछ महत्वपूर्ण तथ्य भी हैं जो यह दर्शाते हैं कि पाकिस्तान को सबक सिखाने का यह एक उपयुक्त समय हो सकता है। जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में पर्यटकों पर हमला करने वाले आतंकवादी समूह का सीधा संबंध पाकिस्तान से है। अब यह देखना है कि भारत सीमा पार छिपे आतंकवादियों को सबक सिखाने के लिए क्या कदम उठाएगा।
पाकिस्तान की राजनीतिक स्थिति
पहला बिंदु
पाकिस्तान में शाहबाज शरीफ प्रधानमंत्री हैं, लेकिन उनके पास कोई वास्तविक शक्ति नहीं है। वहां की गठबंधन सरकार के कारण, बिलावल भुट्टो की पार्टी लगातार सरकार को कमजोर करने की कोशिश कर रही है। आईएमएफ के निर्देशों के चलते, शाहबाज अपनी पसंद के अधिकारियों की नियुक्ति नहीं कर पा रहे हैं। पाकिस्तान ने आईएमएफ से बड़ा ऋण लिया है, इसलिए उसे उनके सुझावों का पालन करना अनिवार्य है.
आंतरिक संघर्ष की स्थिति
दूसरा बिंदु
पाकिस्तान में आंतरिक गृहयुद्ध की स्थिति है। तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान (टीटीपी) ने खैबर-पख्तूनख्वा में आतंक मचाया हुआ है। टीटीपी को अफगान तालिबान का समर्थन प्राप्त है, और पाकिस्तान का दावा है कि उन्हें अमेरिका से हथियार मिल रहे हैं। टीटीपी के आतंकवादी दिनदहाड़े पाकिस्तानी सैनिकों को निशाना बना रहे हैं.
विद्रोह और राजनीतिक चुनौतियाँ
तीसरा बिंदु
बलूचिस्तान में विद्रोही संगठन पाकिस्तानी सेना के खिलाफ उठ खड़े हुए हैं और लगातार हमले कर रहे हैं। दूसरी ओर, इमरान खान की पार्टी भी सरकार और सेना को चुनौती दे रही है, जिसके कारण इमरान खान अदियाला जेल में हैं.
जनता का विश्वास
चौथा बिंदु
पाकिस्तान की जनता का सेना पर से विश्वास उठ चुका है। एक हालिया सर्वेक्षण में पाया गया कि 2024 में 26 प्रतिशत लोगों ने कहा कि उन्हें पाकिस्तानी सेना पर भरोसा नहीं है.
अंतरराष्ट्रीय समर्थन की कमी
पांचवां बिंदु
पाकिस्तान को अब तक चीन और अमेरिका जैसे देशों से हथियार मिलते रहे हैं, लेकिन वर्तमान में इन दोनों देशों के बीच मतभेद हैं। अमेरिका ने स्पष्ट रूप से कहा है कि वह किसी भी देश की मदद नहीं करेगा। चीन भी ताइवान, जापान और फिलीपींस के साथ विवाद में उलझा हुआ है। यदि युद्ध होता है, तो ये दोनों देश पाकिस्तान का समर्थन नहीं करेंगे, क्योंकि चीन भारत की आर्थिक ताकत से भली-भांति परिचित है.