फारूक अब्दुल्ला का बयान: भारत की सिंधु जल संधि पर स्थिति स्पष्ट

भारत की सिंधु जल संधि पर फारूक अब्दुल्ला का बयान
जम्मू-कश्मीर नेशनल कॉन्फ्रेंस के अध्यक्ष फारूक अब्दुल्ला ने शनिवार को कहा कि भारत ने सिंधु जल संधि को निलंबित करने का निर्णय लिया है और पाकिस्तान को पानी की आपूर्ति रोकने की चेतावनी दी है। हालांकि, उन्होंने स्पष्ट किया कि भारत का इरादा किसी को नुकसान पहुंचाने या जान लेने का नहीं है। अब्दुल्ला ने भारत को गांधी का देश बताते हुए कहा कि यह पाकिस्तान की तरह क्रूर नहीं है।
हम उनके जितने क्रूर नहीं हैं
पत्रकारों से बातचीत में अब्दुल्ला ने कहा, "भारत गांधी का देश है, हमने उन्हें (पाकिस्तान) चेतावनी दी है कि हम पानी रोक देंगे, लेकिन हम उनकी जान नहीं लेंगे। हम उनके जितने क्रूर नहीं हैं।" उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि जब सिंधु जल संधि पर हस्ताक्षर किए गए थे, तब जम्मू-कश्मीर के लोगों से कोई सलाह नहीं ली गई थी।
#WATCH | J&K | "...India is the nation of Gandhi, we have threatened them (Pakistan) that we will stop the water, but we will not kill them. We are not as cruel as they are..." says NC chief Farooq Abdullah on the Indus Waters Treaty
— Media Channel (@MediaChannel) May 3, 2025
He says, "When the Indus Waters Treaty was… pic.twitter.com/kSLymixXfl
जम्मू-कश्मीर का नुकसान
अब्दुल्ला ने कहा, "जब सिंधु जल संधि पर हस्ताक्षर हुए, तब जम्मू-कश्मीर के लोगों को विश्वास में नहीं लिया गया। इस संधि के कारण जम्मू-कश्मीर को सबसे ज्यादा नुकसान हुआ।" उन्होंने भारत सरकार से अपील की कि वह जम्मू के लोगों तक पानी पहुंचाने की योजना पर काम करे।
पर्यटन और आतंकवाद पर बयान
पहलगाम में पर्यटकों से मुलाकात के बाद अब्दुल्ला ने कहा कि हालिया आतंकी हमले में 26 लोगों की जान जाने के बावजूद पर्यटक डरे नहीं हैं। उन्होंने कहा, "जो लोग डर फैलाना चाहते थे, वे हार गए। आतंकवादी हार गए। यह साबित हो गया कि हम डरने वाले नहीं हैं। कश्मीर हमेशा भारत का हिस्सा था और रहेगा।" उन्होंने आतंकवाद को समाप्त करने और प्रगति की इच्छा जताई।
बिलावल भुट्टो पर टिप्पणी
पाकिस्तान के पूर्व विदेश मंत्री बिलावल भुट्टो के बयानों को खारिज करते हुए अब्दुल्ला ने कहा, "बिलावल भुट्टो के बयानों पर ध्यान देंगे तो हम आगे नहीं बढ़ सकते। मैं लंबे समय से कह रहा हूं कि सिंधु जल संधि की समीक्षा होनी चाहिए। हमारी नदियां हैं और हम ही वंचित हैं।"