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बलूचिस्तान संघर्ष: मंगोचर पर विद्रोहियों का कब्जा और पाकिस्तान की सेना की विफलता

22 अप्रैल 2025 को पहलगाम में हुए आतंकवादी हमले के बाद, बलूचिस्तान में विद्रोहियों ने मंगोचर पर कब्जा कर लिया है। इस घटना ने पाकिस्तान की सेना की विफलता को उजागर किया है। बीएलए के हमलों में तेजी आई है, जिससे यह स्पष्ट होता है कि वे अब पहले से अधिक संगठित और शक्तिशाली हो गए हैं। भारत ने इस स्थिति पर कड़ी प्रतिक्रिया दी है, जिसमें पाकिस्तान के साथ डाक सेवाओं पर प्रतिबंध शामिल है। जानें इस संघर्ष के पीछे के कारण और इसके संभावित परिणाम क्या हो सकते हैं।
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बलूचिस्तान संघर्ष: मंगोचर पर विद्रोहियों का कब्जा और पाकिस्तान की सेना की विफलता

मंगोचर पर विद्रोहियों का कब्जा

बलूचिस्तान संघर्ष: 22 अप्रैल 2025 को पहलगाम में हुए आतंकवादी हमले में 26 लोगों की मौत के बाद भारत और पाकिस्तान के बीच तनाव बढ़ गया है। इस बीच, बलूचिस्तान के कलात जिले के मंगोचर शहर में बलूच लिबरेशन आर्मी (BLA) के विद्रोहियों ने नियंत्रण स्थापित कर लिया है। सोशल मीडिया पर वायरल हो रहे वीडियो में विद्रोहियों को सरकारी इमारतों और कार्यालयों पर कब्जा करते हुए देखा गया है। यह घटना तब हुई जब पाकिस्तान ने भारत से संभावित हमले की आशंका जताते हुए अपनी पश्चिमी सीमा पर सैन्य तैनाती बढ़ाई थी। क्या मंगोचर पर विद्रोहियों की जीत बलूचिस्तान में पाकिस्तानी सेना के लिए खतरे का संकेत है?


मंगोचर पर कब्जा

शनिवार को सामने आए वीडियो और रिपोर्टों के अनुसार, बलूच विद्रोहियों ने मंगोचर में पाकिस्तानी सेना के शिविर पर हमला किया और कई हथियारों पर कब्जा कर लिया। शहर में हुई झड़पों में विद्रोहियों ने सरकारी भवनों पर नियंत्रण कर लिया। बीएलए ने दावा किया कि इस ऑपरेशन में 50 से अधिक पाकिस्तानी सैनिक मारे गए, जबकि पाकिस्तानी सेना ने 18 सैनिकों और 33 विद्रोहियों सहित 64 लोगों की मौत की पुष्टि की। बीएलए ने इन आंकड़ों का खंडन करते हुए 214 बंधकों की हत्या का दावा किया, जिनमें अधिकांश सैनिक शामिल थे। यह हमला बीएलए के 'ऑपरेशन हेरोफ' का हिस्सा बताया जा रहा है, जिसके तहत विद्रोहियों ने बलूचिस्तान के कई क्षेत्रों में नियंत्रण स्थापित किया है.


बलूच विद्रोह

हाल के महीनों में बीएलए ने बलूचिस्तान में हमलों की संख्या बढ़ा दी है। 26 अप्रैल 2025 को क्वेटा में हुए आईईडी विस्फोट में 10 अर्धसैनिक बलों के जवान मारे गए थे, जिसकी जिम्मेदारी बीएलए ने ली। मार्च में जाफर एक्सप्रेस ट्रेन का हाईजैक और नोशकी में सैन्य काफिले पर हमले जैसे बड़े ऑपरेशनों ने पाकिस्तानी सेना की कमजोरी को उजागर किया। एक रिपोर्ट के अनुसार, 2024 में बीएलए ने 150 से अधिक हमले किए, जो हर महीने औसतन 12 हमलों के बराबर है। मंगोचर पर कब्जा बीएलए की रणनीतिक ताकत और संगठनात्मक क्षमता को दर्शाता है, जिसने पाकिस्तानी सेना को बैकफुट पर ला दिया है.


भारत और बलूच विद्रोह

पहलगाम हमले के बाद भारत ने कई कूटनीतिक और आर्थिक कदम उठाए, जिसमें पाकिस्तान से डाक सेवाएं और आयात, विशेषकर सेंधा नमक पर पूर्ण प्रतिबंध शामिल है। भारत ने सिंधु जल समझौते को निलंबित करने और अटारी सीमा को बंद करने जैसे कदम भी उठाए। इस बीच, पाकिस्तान ने अब्दाली बैलिस्टिक मिसाइल का परीक्षण कर अपनी सैन्य ताकत प्रदर्शित करने की कोशिश की, लेकिन बलूचिस्तान में उसकी सेना की हार ने इन प्रयासों को कमजोर कर दिया। पाकिस्तानी सेना प्रमुख जनरल असीम मुनीर की हिंदू-विरोधी टिप्पणी के बाद पहलगाम हमला हुआ, जिसे लश्कर-ए-तैयबा से जुड़े द रेजिस्टेंस फ्रंट ने शुरू में स्वीकार किया लेकिन बाद में इनकार कर दिया.


क्या हार गई पाकिस्तानी सेना?

मंगोचर पर बलूच विद्रोहियों का कब्जा और लगातार हमले पाकिस्तानी सेना की रणनीतिक विफलता को दर्शाते हैं। बलूचिस्तान, जो पाकिस्तान का सबसे बड़ा लेकिन सबसे कम आबादी वाला प्रांत है, प्राकृतिक संसाधनों से समृद्ध है। फिर भी, बीएलए का आरोप है कि पाकिस्तान और चीन इन संसाधनों का दोहन कर रहे हैं, जिसके खिलाफ उनकी लड़ाई जारी है। 1947 में बलूचिस्तान को जबरन पाकिस्तान में शामिल करने के बाद से यह विद्रोह चल रहा है। हाल के हमलों और मंगोचर की घटना ने साबित किया है कि बीएलए अब पहले से कहीं अधिक संगठित और शक्तिशाली है.