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बिलावल भुट्टो का बड़ा कबूलनामा: पाकिस्तान ने आतंकवाद का समर्थन किया

पाकिस्तान के पूर्व विदेश मंत्री बिलावल भुट्टो जरदारी ने आतंकवाद के समर्थन के इतिहास को स्वीकार किया है। उन्होंने कहा कि पाकिस्तान ने कट्टरता की लहर का सामना किया है और अब सुधारों की दिशा में कदम बढ़ा रहा है। उनके बयान ने रक्षा मंत्री ख्वाजा आसिफ के कबूलनामे की पुष्टि की है, जिसमें उन्होंने पाकिस्तान के आतंकवादियों को प्रशिक्षण देने के इतिहास का जिक्र किया। जानें इस महत्वपूर्ण विषय पर और क्या कहा गया है और पाकिस्तान के भविष्य के प्रयासों के बारे में।
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बिलावल भुट्टो का बड़ा कबूलनामा: पाकिस्तान ने आतंकवाद का समर्थन किया

बिलावल भुट्टो का बयान

इस्लामाबाद: पाकिस्तान के पूर्व विदेश मंत्री और पाकिस्तान पीपल्स पार्टी (पीपीपी) के नेता बिलावल भुट्टो जरदारी ने एक महत्वपूर्ण बयान दिया है। उन्होंने स्वीकार किया कि पाकिस्तान का कट्टरता और आतंकवाद के समर्थन का एक लंबा इतिहास रहा है। यह बयान रक्षा मंत्री ख्वाजा आसिफ के पहले के बयान की पुष्टि करता है, जिसमें उन्होंने कहा था कि पाकिस्तान ने कई वर्षों तक आतंकवाद का समर्थन किया और आतंकवादियों को प्रशिक्षण दिया।


कट्टरता का इतिहास

बिलावल ने स्काई न्यूज़ की पत्रकार यालदा हाकिम के साथ बातचीत में कहा, "रक्षा मंत्री की बातों में कोई रहस्य नहीं है। पाकिस्तान का एक ऐसा इतिहास है, जिसके परिणामस्वरूप हमें कई समस्याओं का सामना करना पड़ा है। कट्टरता की लहर ने हमें प्रभावित किया है, लेकिन अब हम कुछ महत्वपूर्ण सबक सीख चुके हैं और आंतरिक सुधारों की दिशा में कदम बढ़ा रहे हैं।" उन्होंने यह भी कहा कि पाकिस्तान का कट्टरता का इतिहास नकारा नहीं जा सकता।


आतंकवाद से निपटने के प्रयास

बिलावल का यह बयान रक्षा मंत्री ख्वाजा आसिफ के कबूलनामे के बाद आया है, जिसमें उन्होंने कहा था कि पाकिस्तान ने लगभग तीन दशकों तक अमेरिका और पश्चिमी देशों के लिए आतंकवादियों को पाला और उन्हें प्रशिक्षण दिया। आसिफ ने यह बात तब कही थी जब उनसे पूछा गया था कि क्या पाकिस्तान का आतंकवाद को समर्थन देने का इतिहास रहा है।


भविष्य की दिशा

बिलावल ने आगे कहा कि पाकिस्तान का इतिहास अब बीते समय की बात है और वर्तमान निर्णयों पर इसका प्रभाव नहीं होना चाहिए। उन्होंने इसे पाकिस्तान का "बीता हुआ दुर्भाग्यपूर्ण कल" बताया। उन्होंने यह भी कहा कि पाकिस्तान ने आतंकवाद से निपटने के लिए ठोस कदम उठाए हैं और इसके सकारात्मक परिणाम भी दिख रहे हैं।


भारत को दी गई धमकी

हाल ही में, बिलावल भुट्टो जरदारी ने सिंधु जल समझौते को लेकर भारत को परोक्ष रूप से धमकी दी थी कि यदि सिंधु नदी में पानी नहीं बहेगा, तो परिणाम गंभीर होंगे। उनकी इस टिप्पणी की व्यापक आलोचना हुई थी।