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भाखड़ा नहर विवाद: हरियाणा में जल संकट की स्थिति

हरियाणा और पंजाब के बीच भाखड़ा नहर के पानी के बंटवारे को लेकर विवाद बढ़ता जा रहा है, जिससे अंबाला, कुरुक्षेत्र, और अन्य जिलों में जल संकट उत्पन्न हो गया है। पंजाब ने हरियाणा को पानी की आपूर्ति में कटौती की है, जिसके चलते स्थानीय लोगों को कठिनाइयों का सामना करना पड़ रहा है। मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी और अन्य नेताओं ने इस मुद्दे पर पंजाब सरकार की आलोचना की है। जानें इस विवाद के पीछे की राजनीति और इसके संभावित प्रभावों के बारे में।
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भाखड़ा नहर विवाद: हरियाणा में जल संकट की स्थिति

भाखड़ा नहर विवाद: पानी के बंटवारे पर राजनीतिक संघर्ष

भाखड़ा नहर विवाद: अंबाला, कुरुक्षेत्र, फतेहाबाद, कैथल, सिरसा, हिसार और जिंद में जल संकट: चंडीगढ़। हरियाणा और पंजाब के बीच भाखड़ा नहर के पानी के बंटवारे को लेकर चल रहा विवाद अब राजनीतिक संघर्ष का रूप ले चुका है। इससे पहले सतलुज-यमुना लिंक (एसवाईएल) नहर को लेकर भी दोनों राज्यों में राजनीतिक टकराव होता रहा है, लेकिन इस बार भाखड़ा के पानी को लेकर स्थिति और भी गंभीर हो गई है।


पंजाब ने हरियाणा को भाखड़ा नहर का पानी 9,000 क्यूसेक से घटाकर लगभग 4,000 क्यूसेक कर दिया है। इस मुद्दे पर हरियाणा के मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी ने पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान को पत्र लिखा और फोन पर भी चर्चा की।


भाखड़ा नहर विवाद: आधा दर्जन से ज्यादा जिलों में जल संकट

हरियाणा के कई जिलों में पेयजल की गंभीर कमी हो रही है। भाखड़ा नहर में जलस्तर घटने से कैथल, कुरुक्षेत्र, जींद, फतेहाबाद, अंबाला, हिसार और सिरसा में जल संकट बढ़ गया है। स्थिति की गंभीरता का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि फतेहाबाद, हिसार और सिरसा के कई गांवों में पानी टैंकरों के जरिए पहुंचाया जा रहा है।


जल माफिया द्वारा पानी की टंकियों की कीमतों में वृद्धि से स्थानीय लोगों की समस्याएं बढ़ रही हैं। भाखड़ा व्यास प्रबंधन बोर्ड के तहत भाखड़ा नांगल जल परियोजना से हरियाणा, पंजाब, दिल्ली और राजस्थान को पानी की आपूर्ति की जाती है। भाखड़ा नहर नांगल बांध की गोबिंद सागर झील से पानी लाती है।


हरियाणा के मुख्यमंत्री और कैबिनेट मंत्री ने पंजाब को घेरा

हरियाणा के मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी ने पंजाब सरकार की आलोचना की है, जो हरियाणा के हिस्से का पानी रोक रही है। उन्होंने कहा कि पंजाब जानबूझकर राजनीति कर रहा है और हरियाणा के हक का पानी रोकना गलत है। उन्होंने पंजाब सरकार से अपील की कि वह इस मुद्दे पर राजनीति करना बंद करे और हरियाणा को उसका पूरा पानी दे।


हरियाणा के विकास एवं पंचायत मंत्री कृष्ण लाल पंवार ने कहा कि हरियाणा को पीने के लिए 9,500 क्यूसेक पानी की आवश्यकता है, लेकिन पंजाब ने केवल 4,000 क्यूसेक ही दिया है। उन्होंने इस निर्णय की निंदा की और कहा कि हाल ही में बीबीएमबी की बैठक में पानी देने का निर्णय लिया गया था, लेकिन पंजाब ने इसे मानने से इनकार कर दिया।


कांग्रेस का समर्थन: सत्ता पक्ष को मिला साथ

हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने कहा कि यह सब समझ से परे है। जब बोर्ड का निर्णय है, तो पंजाब को इसे मानना चाहिए। उन्होंने कहा कि इस तरह से पानी रोकने से दिल्ली पर भी असर पड़ेगा और वहां जल संकट भी बढ़ेगा।


उन्होंने कहा कि संघीय ढांचे का मतलब है कि सभी राज्य प्राकृतिक संसाधनों के लिए एक-दूसरे पर निर्भर हैं। सुप्रीम कोर्ट पहले ही हरियाणा के पक्ष में फैसला दे चुका है, इसलिए पंजाब को इसका पालन करना चाहिए और हरियाणा को एसवाईएल का पानी देना चाहिए।