भारत के सिंधु जल संधि के फैसले से पाकिस्तान में मची हलचल: कानूनी विकल्पों पर विचार
भारत के फैसले से पाकिस्तान में चिंता
जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले के बाद भारत द्वारा सिंधु जल संधि को निरस्त करने के निर्णय ने पाकिस्तान में चिंता की लहर पैदा कर दी है। पाकिस्तान सरकार ने इसे 'युद्ध का कार्य' मानते हुए भारत के इस कदम का विरोध शुरू कर दिया है। अब पाकिस्तान इस मुद्दे पर तीन प्रमुख कानूनी विकल्पों पर विचार कर रहा है, जिससे वह भारत के इस निर्णय को चुनौती देने की तैयारी कर रहा है.
पाकिस्तान के लिए आर्थिक और राजनीतिक झटका
भारत का यह निर्णय पाकिस्तान के लिए एक गंभीर आर्थिक और राजनीतिक झटका साबित हो सकता है। सिंधु जल संधि के तहत पाकिस्तान को कई नदियों का पानी मिलता है, जो उसकी कृषि निर्भरता का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है। पाकिस्तान ने भारत के इस कदम को संघर्ष के रूप में देखने की चेतावनी दी है और इसके खिलाफ कड़ी कार्रवाई की योजना बनाई है.
पाकिस्तान के कानूनी विकल्प
पाकिस्तान के मंत्री अकील मलिक ने बताया कि भारत के इस निर्णय के खिलाफ पाकिस्तान तीन कानूनी रास्तों पर विचार कर रहा है। पहला विकल्प है विश्व बैंक में इस मामले को उठाना, क्योंकि सिंधु जल संधि के लिए विश्व बैंक ने मध्यस्थता की थी। दूसरे और तीसरे विकल्प में अंतर्राष्ट्रीय मध्यस्थता न्यायालय और हेग स्थित अंतर्राष्ट्रीय न्यायालय में इस मुद्दे को ले जाना शामिल है.
पाकिस्तान की दलीलें
पाकिस्तानी मंत्री ने कहा कि यदि मामला अंतर्राष्ट्रीय न्यायालय में जाता है, तो पाकिस्तान भारत पर 1960 में हुए वियना कन्वेंशन का उल्लंघन करने का आरोप लगा सकता है। इस कन्वेंशन के तहत किसी भी जल संधि के उल्लंघन पर अंतर्राष्ट्रीय न्यायालय में मामला उठाया जा सकता है। पाकिस्तान के अधिकारी इस मामले पर गंभीर चर्चा कर रहे हैं और जल्द ही इस पर निर्णय लिया जाएगा.
भारत-पाकिस्तान के बीच बढ़ता तनाव
भारत ने पाकिस्तान को चेतावनी दी थी कि वह तब तक सिंधु जल संधि को लागू नहीं करेगा, जब तक पाकिस्तान सीमा पार आतंकवाद का समर्थन नहीं रोकेगा। पाकिस्तान ने इन आरोपों का हमेशा की तरह खंडन किया है। इसके जवाब में, पाकिस्तान ने भारतीय विमानों के लिए अपना एयरस्पेस बंद कर दिया और कहा कि यदि भारत ने सिंधु जल पर कोई प्रतिबंध लगाया, तो इसे युद्ध की शुरुआत माना जाएगा.
पाकिस्तान की तात्कालिक प्रतिक्रिया
भारत के इस कदम के बाद पाकिस्तान में राजनीतिक हलचल तेज हो गई है और शहबाज शरीफ सरकार इस मामले पर त्वरित कार्रवाई करने की तैयारी कर रही है। इन कानूनी रास्तों के माध्यम से पाकिस्तान भारत के फैसले को चुनौती देने का प्रयास करेगा.