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मणिपुर में जातीय हिंसा की दूसरी वर्षगांठ पर राज्यव्यापी बंद, सामान्य जीवन प्रभावित

मणिपुर में दो साल पहले शुरू हुई जातीय हिंसा की बरसी पर राज्यभर में व्यापक बंद का असर देखा जा रहा है। मैतेई और कुकि समुदायों के संगठनों ने अलग-अलग क्षेत्रों में बंद का आह्वान किया है, जिससे सामान्य जनजीवन प्रभावित हुआ है। सुरक्षा व्यवस्था को कड़ा किया गया है और हिंसा के पीड़ितों को श्रद्धांजलि देने के लिए कार्यक्रम आयोजित किए जा रहे हैं। जानें इस स्थिति के पीछे की वजह और इसके प्रभाव।
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मणिपुर में जातीय हिंसा की दूसरी वर्षगांठ पर राज्यव्यापी बंद, सामान्य जीवन प्रभावित

मणिपुर में बंद का व्यापक असर

इंफाल: मणिपुर में दो साल पहले शुरू हुई जातीय हिंसा की बरसी पर आज राज्यभर में व्यापक बंद का असर देखा जा रहा है। इस अवसर पर मैतेई और कुकि समुदायों से जुड़े संगठनों ने विभिन्न क्षेत्रों में बंद का आह्वान किया, जिसके चलते सामान्य जनजीवन पर प्रभाव पड़ा है।


संगठनों द्वारा शटडाउन का ऐलान

मणिपुर हिंसा: घाटी में मैतेई समुदाय के संगठन, को-ऑर्डिनेटिंग कमिटी ऑन मणिपुर इंटीग्रिटी (COCOMI) ने शटडाउन की घोषणा की है। वहीं, कुकि समुदाय के ज़ोमी स्टूडेंट्स फेडरेशन और कुकि स्टूडेंट्स ऑर्गनाइजेशन ने पहाड़ी क्षेत्रों में बंद रखा है। इस दौरान बाजार, निजी कार्यालय, स्कूल-कॉलेज और सार्वजनिक परिवहन सेवाएं पूरी तरह से ठप हैं। केवल कुछ निजी वाहन ही सड़कों पर दिखाई दे रहे हैं।


सुरक्षा व्यवस्था में कड़ी चाक-चौबंद

राज्य में संवेदनशील हालात को देखते हुए सुरक्षा व्यवस्था को कड़ा किया गया है। इंफाल में COCOMI ने ‘मणिपुर पीपल्स कन्वेंशन’ का आयोजन किया, जबकि शाम को हिंसा के पीड़ितों को श्रद्धांजलि देने के लिए मोमबत्ती मार्च भी निकाला जाएगा।


कुकि बहुल क्षेत्रों में 'डे ऑफ सेपरेशन'

कुकि बहुल इलाकों चुराचांदपुर और कांगपोकपी में ‘डे ऑफ सेपरेशन’ मनाया गया। यहां कुकियों ने अलग प्रशासनिक क्षेत्र की मांग को दोहराया। चुराचांदपुर में ‘वॉल ऑफ रिमेम्ब्रेंस’ और सेहकेन बुरियल साइट पर श्रद्धांजलि कार्यक्रम आयोजित किए गए।


हिंसा के आंकड़े

मई 2023 में मैतेई और कुकि समुदायों के बीच हुई हिंसा में अब तक 260 से अधिक लोगों की जान जा चुकी है और लगभग 70,000 लोग बेघर हो चुके हैं। दो साल बाद भी तनाव कम नहीं हुआ है, बल्कि जातीय विभाजन और अधिक गहरा हो गया है।