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मोदी सरकार ने जाति जनगणना कराने का लिया निर्णय

केंद्र सरकार ने जाति जनगणना कराने का निर्णय लिया है, जो 1947 के बाद पहली बार होगा। इस फैसले का राजनीतिक महत्व है, खासकर बिहार चुनावों के संदर्भ में। राहुल गांधी की मांगों के बीच, यह निर्णय कांग्रेस के लिए एक बड़ा झटका हो सकता है। जानें इस निर्णय के पीछे के कारण और इसके संभावित प्रभाव।
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नई दिल्ली में महत्वपूर्ण निर्णय

मोदी सरकार ने जाति जनगणना कराने का लिया निर्णय

नई दिल्ली। केंद्र सरकार ने जाति जनगणना कराने का निर्णय लिया है। यह फैसला बुधवार, 30 अप्रैल को हुई कैबिनेट बैठक में लिया गया। केंद्रीय मंत्री अश्विनी वैष्णव ने इस संबंध में मीडिया को जानकारी दी।


1947 से जाति जनगणना का अभाव

केंद्रीय मंत्री वैष्णव ने बताया कि 1947 के बाद से जाति जनगणना नहीं हुई है। पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह की अगुवाई वाली यूपीए सरकार ने इस मुद्दे पर चर्चा की थी, लेकिन इसे लागू नहीं किया गया। उन्होंने यह भी कहा कि कांग्रेस पार्टी ने केवल राजनीतिक लाभ के लिए जाति जनगणना की बात की है।


मोदी सरकार का यह निर्णय क्यों?

इस बीच, राजनीतिक हलकों में यह चर्चा हो रही है कि मोदी सरकार ने यह बड़ा निर्णय क्यों लिया। पिछले कुछ वर्षों से कांग्रेस नेता राहुल गांधी जाति जनगणना की मांग कर रहे थे। उन्होंने चुनावी रैलियों में कहा था कि यदि कांग्रेस सत्ता में आती है, तो जाति जनगणना कराई जाएगी।


अब जब मोदी सरकार ने जाति जनगणना कराने का निर्णय लिया है, तो इससे राहुल गांधी और कांग्रेस का एक प्रमुख चुनावी मुद्दा समाप्त हो गया है। इस फैसले को बिहार चुनावों से भी जोड़ा जा रहा है, जहां जाति एक महत्वपूर्ण कारक होती है। ऐसे में यह निर्णय बीजेपी को बिहार में चुनावी लाभ पहुंचा सकता है।


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