रोहतक में तेंदुए का आतंक: 28 घंटे की मेहनत के बाद पकड़ा गया, अब कलेसर जंगल में छोड़ा जाएगा

रोहतक में तेंदुए का आतंक
रोहतक के औद्योगिक क्षेत्र में तेंदुए की घुसपैठ से मचा हड़कंप: रोहतक के मारुति प्लांट में एक तेंदुआ घुस आया, जिससे वहां के कर्मचारियों और आसपास के गांवों में दहशत फैल गई। 28 घंटे की मेहनत के बाद वन्य प्राणी विभाग की टीम ने तेंदुए को पकड़ने में सफलता हासिल की।
तेंदुए की घुसपैठ का पता
शुक्रवार की सुबह, जब प्लांट के सुरक्षाकर्मी सीसीटीवी फुटेज देख रहे थे, तब उन्हें एक तेंदुआ प्लांट में घुसते हुए दिखाई दिया। यह प्लांट लगभग एक हजार एकड़ में फैला हुआ है और चारों ओर सीसीटीवी कैमरे लगे हुए हैं। तेंदुए की उपस्थिति ने कर्मचारियों और आसपास के गांवों में भय का माहौल बना दिया।
तुरंत कार्रवाई और कर्मचारियों की छुट्टी
तेंदुए की घुसपैठ की सूचना मिलते ही, मारुति प्रबंधन ने तुरंत अपने वरिष्ठ अधिकारियों को सूचित किया और सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए कर्मचारियों की छुट्टी कर दी। आसपास के लोगों को भी सतर्क रहने की सलाह दी गई।
रातभर का अभियान
वन्य प्राणी विभाग की एक विशेष टीम ने तेंदुए को पकड़ने के लिए तुरंत कार्रवाई की। हालांकि, दिनभर की कोशिशों के बावजूद तेंदुआ पकड़ में नहीं आया। लेकिन अधिकारियों ने रातभर ऑपरेशन जारी रखा। अंततः, शनिवार की सुबह 6:30 बजे तेंदुआ पिंजरे में फंस गया।
कलेसर जंगल में तेंदुए की नई शुरुआत
तेंदुए को पकड़ने के बाद, वन्य प्राणी विभाग ने इसे सुरक्षित रूप से पिंजरे में रखा और यमुनानगर के कलेसर जंगल में छोड़ने की तैयारी की। कलेसर का घना जंगल तेंदुए के लिए एक सुरक्षित आवास होगा।
स्थानीय लोगों में राहत
तेंदुए के पकड़े जाने की खबर से मारुति प्लांट के कर्मचारियों और आसपास के ग्रामीणों ने राहत की सांस ली। कई लोगों ने वन्य प्राणी विभाग की प्रशंसा की, जिन्होंने इस चुनौतीपूर्ण स्थिति में धैर्य और पेशेवर तरीके से काम किया।
मानव-वन्यजीव सहअस्तित्व की आवश्यकता
यह घटना हमें यह सोचने पर मजबूर करती है कि औद्योगिक विकास और शहरीकरण के बीच वन्यजीवों के लिए सुरक्षित स्थान कैसे सुनिश्चित किया जाए। तेंदुए जैसे जंगली जानवर अक्सर भोजन की तलाश में मानव बस्तियों के करीब आ जाते हैं।
भविष्य की तैयारी
यह घटना प्रशासन और औद्योगिक इकाइयों के लिए एक सबक है। भविष्य में ऐसी स्थिति से निपटने के लिए बेहतर योजना और त्वरित प्रतिक्रिया तंत्र की आवश्यकता है। रोहतक की इस घटना ने सभी को सतर्क रहने और प्रकृति के साथ संतुलन बनाए रखने का संदेश दिया है।