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सुप्रीम कोर्ट का आदेश: महाराष्ट्र में निकाय चुनाव चार महीने में कराने का निर्देश

सुप्रीम कोर्ट ने महाराष्ट्र में लंबे समय से रुके स्थानीय निकाय चुनावों को चार महीने में कराने का आदेश दिया है। अदालत ने राज्य चुनाव आयोग को निर्देश दिया है कि वह चार सप्ताह में चुनावों की अधिसूचना जारी करे। जस्टिस सूर्यकांत की अध्यक्षता वाली बेंच ने लोकतंत्र के संवैधानिक जनादेश का सम्मान करने की आवश्यकता पर जोर दिया। इस निर्णय के साथ, ओबीसी आरक्षण से संबंधित लंबित कानूनी प्रक्रियाओं का भी उल्लेख किया गया है। जानें इस महत्वपूर्ण निर्णय के बारे में और अधिक जानकारी।
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सुप्रीम कोर्ट का आदेश: महाराष्ट्र में निकाय चुनाव चार महीने में कराने का निर्देश

सुप्रीम कोर्ट का महत्वपूर्ण निर्णय

नई दिल्ली। सर्वोच्च न्यायालय ने महाराष्ट्र में लंबे समय से रुके हुए स्थानीय निकाय चुनावों को चार महीने के भीतर आयोजित करने का आदेश दिया है। मंगलवार को इस मामले की सुनवाई के बाद अदालत ने यह निर्णय सुनाया। अदालत ने राज्य चुनाव आयोग को निर्देश दिया कि वह चार सप्ताह के अंदर स्थानीय निकाय चुनावों की अधिसूचना जारी करे। इसके साथ ही, अदालत ने यह भी कहा कि चुनाव आयोग को चार महीने के भीतर चुनाव संपन्न कराने का प्रयास करना चाहिए।


लोकतंत्र का सम्मान

जस्टिस सूर्यकांत की अध्यक्षता वाली बेंच ने अपने आदेश में कहा, 'स्थानीय निकायों के चुनाव समय पर होने चाहिए ताकि लोकतंत्र के संवैधानिक जनादेश का सम्मान हो सके।' उल्लेखनीय है कि महाराष्ट्र में पिछले कई वर्षों से स्थानीय निकाय चुनाव नहीं हुए हैं, जिसका मुख्य कारण ओबीसी आरक्षण से संबंधित लंबित कानूनी प्रक्रियाएं रही हैं। अदालत ने इस देरी को लोकतांत्रिक प्रक्रिया के लिए उचित नहीं माना और समय पर चुनाव कराने के निर्देश दिए।


बनठिया आयोग की रिपोर्ट

अदालत ने बनठिया आयोग की रिपोर्ट को स्वीकार कर लिया है, जिसमें ओबीसी वर्ग के लिए सटीक आंकड़े निर्धारित करने के लिए जनगणना और स्थानीय निकाय चुनावों में 27 प्रतिशत सीटें आरक्षित करने की सिफारिश की गई थी। पीठ ने यह भी स्पष्ट किया कि महाराष्ट्र के स्थानीय निकाय चुनावों के परिणाम सर्वोच्च न्यायालय में लंबित याचिकाओं के निर्णयों के अधीन होंगे।