सुप्रीम कोर्ट पर उपराष्ट्रपति धनखड़ की टिप्पणियों का जस्टिस सूर्यकांत ने दिया जवाब
सुप्रीम कोर्ट की भूमिका पर उठे सवाल
भारत के सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस सूर्यकांत ने उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ और भाजपा सांसद निशिकांत दुबे द्वारा की गई आलोचनाओं को नजरअंदाज किया है। उन्होंने कहा, "हमें इसकी चिंता नहीं है... संस्था पर हर दिन हमले होते रहते हैं।" जस्टिस सूर्यकांत ने राष्ट्रपति और राज्यपालों के लिए विधेयकों को मंजूरी देने की समयसीमा तय करने के सुप्रीम कोर्ट के ऐतिहासिक निर्णय के बाद उठे सवालों को हल्के में लिया। यह टिप्पणी उन्होंने कर्नाटक में एक अवमानना मामले की सुनवाई के दौरान की।
संविधान के अंतिम स्वामी कौन?
जस्टिस सूर्यकांत की यह टिप्पणी उस समय आई है जब सर्वोच्च न्यायालय पर उपराष्ट्रपति धनखड़ और भाजपा सांसदों की ओर से तीखे हमले हो रहे हैं। धनखड़ ने कहा कि लोकतंत्र में निर्वाचित प्रतिनिधि ही संविधान के "परम स्वामी" होते हैं। उन्होंने 1975 में इंदिरा गांधी द्वारा लगाए गए आपातकाल का भी जिक्र किया और सर्वोच्च अदालत की भूमिका पर सवाल उठाया।
धनखड़ की आलोचना और सुप्रीम कोर्ट की प्रतिक्रिया
पिछले हफ्ते, धनखड़ ने संविधान के अनुच्छेद 142 पर सवाल उठाते हुए सर्वोच्च न्यायालय पर हमला किया, जो शीर्ष अदालत को लंबित मामलों में आदेश पारित करने की विशेष शक्तियां देता है। यह टिप्पणी भाजपा सांसद निशिकांत दुबे द्वारा की गई उस टिप्पणी के बाद आई है जिसमें उन्होंने कहा था कि सुप्रीम कोर्ट "भारत को अराजकता की ओर ले जा रहा है।" सुप्रीम कोर्ट अगले सप्ताह इन टिप्पणियों के खिलाफ दायर याचिका पर सुनवाई करेगा।
सरकार का न्यायपालिका के प्रति सम्मान
इस बीच, सरकारी सूत्रों ने न्यायपालिका के प्रति सम्मान को सर्वोपरि बताया है। एक सरकारी सूत्र ने कहा, "लोकतंत्र के सभी स्तंभ मिलकर काम कर रहे हैं... न्यायपालिका और विधायिका एक ही सिक्के के दो पहलू हैं।"