1991 के आर्थिक सुधारों पर मोंटेक सिंह अहलूवालिया की नई दृष्टि
प्रसिद्ध अर्थशास्त्री मोंटेक सिंह अहलूवालिया ने 1991 के आर्थिक सुधारों की प्रकृति पर एक नई दृष्टि प्रस्तुत की है। उन्होंने बताया कि ये सुधार 'चुपके' से लागू किए गए थे, न कि 'धीरे-धीरे'। इस दौरान भारत गंभीर आर्थिक संकट का सामना कर रहा था, जिससे बड़े सुधारों को लागू करना चुनौतीपूर्ण था। जानें कैसे इस रणनीति ने भारतीय अर्थव्यवस्था को उदार बनाने में मदद की।
Jun 12, 2025, 11:57 IST
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आर्थिक सुधारों की गुप्त प्रकृति
प्रसिद्ध अर्थशास्त्री और योजना आयोग के पूर्व उपाध्यक्ष मोंटेक सिंह अहलूवालिया ने 1991 में हुए ऐतिहासिक आर्थिक सुधारों के बारे में एक महत्वपूर्ण विचार साझा किया है। उन्होंने कहा कि ये सुधार 'धीरे-धीरे' या 'क्रमिक' तरीके से नहीं, बल्कि 'चुपके से' लागू किए गए थे।अहलूवालिया ने बताया कि उस समय भारत गंभीर आर्थिक संकट का सामना कर रहा था, जिससे बड़े और स्पष्ट सुधारों को राजनीतिक रूप से लागू करना कठिन था। सरकार ने आवश्यक परिवर्तनों को इस प्रकार लागू किया कि वे तुरंत और व्यापक राजनीतिक विरोध का सामना न करें, जिसके लिए एक 'चुपके' की रणनीति अपनाई गई।
उनके अनुसार, इस दृष्टिकोण ने सरकार को संकट से निपटने और भारतीय अर्थव्यवस्था को उदार बनाने के लिए आवश्यक और साहसिक कदम उठाने में मदद की, भले ही ये कदम पूरी तरह से प्रचारित न किए गए हों।