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2026-2027 में होने वाली जनगणना पर राजनीतिक विवाद: कांग्रेस और बीजेपी के बीच आरोप-प्रत्यारोप

केंद्र सरकार ने 2026 और 2027 में जनगणना कराने की योजना की घोषणा की है, जिसके बाद कांग्रेस और बीजेपी के बीच तीखी बहस छिड़ गई है। कांग्रेस ने आरोप लगाया है कि अधिसूचना में 'जाति' का उल्लेख नहीं है, जबकि बीजेपी ने इसे फर्जी खबरों का हिस्सा बताया है। जयराम रमेश ने इसे केवल प्रचार का एक साधन करार दिया है। जानें इस विवाद के पीछे की पूरी कहानी और जनगणना की प्रक्रिया के बारे में।
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2026-2027 में होने वाली जनगणना पर राजनीतिक विवाद: कांग्रेस और बीजेपी के बीच आरोप-प्रत्यारोप

केंद्र सरकार की जनगणना की घोषणा

केंद्र सरकार ने आधिकारिक रूप से यह जानकारी दी है कि अगली जनगणना 2026 और 2027 में दो चरणों में आयोजित की जाएगी। गृह मंत्रालय ने इस संबंध में गजट अधिसूचना भी जारी की है। हालांकि, जैसे ही यह अधिसूचना सामने आई, राजनीतिक हलचल तेज हो गई है।


कांग्रेस का आरोप: जाति का उल्लेख न होना

कांग्रेस ने आरोप लगाया है कि सरकार की अधिसूचना में 'जाति' शब्द का कहीं उल्लेख नहीं है। पार्टी प्रवक्ता पवन खेड़ा ने केंद्र सरकार की मंशा पर सवाल उठाते हुए कहा कि तेलंगाना सरकार ने अपने आदेश में 'जाति' का उल्लेख किया है, जबकि केंद्र की अधिसूचना में जातीय जनगणना का कोई संकेत नहीं है। उन्होंने यह भी कहा कि बीजेपी हमेशा जातीय सामाजिक-आर्थिक सर्वेक्षण का विरोध करती रही है, जिससे यह प्रक्रिया पारदर्शी नहीं हो पा रही है।


बीजेपी का जवाब: कांग्रेस का इतिहास संदिग्ध

बीजेपी नेता शहजाद पूनावाला और केंद्रीय मंत्री भूपेंद्र यादव ने कांग्रेस पर पलटवार किया है। पूनावाला ने कांग्रेस को 'फर्जी खबरों की फैक्ट्री' करार देते हुए कहा कि 15 जून को PIB की रिलीज में जातीय जनगणना का स्पष्ट उल्लेख है। उन्होंने यह भी कहा कि कांग्रेस अपने सर्वे पर भरोसा नहीं कर रही, इसलिए कर्नाटक में फिर से जाति सर्वे करवा रही है।


जयराम रमेश का बयान: यह सिर्फ प्रचार है

कांग्रेस नेता जयराम रमेश ने केंद्र की अधिसूचना को 'पुराने बयान की पुनरावृत्ति' बताया। उन्होंने कहा कि इसमें न तो जाति का उल्लेख है और न ही सवालों की प्रकृति स्पष्ट की गई है। उनका कहना है कि सरकार ने केवल 'हैडलाइन मैनेजमेंट' के लिए यह अधिसूचना जारी की है।


जनगणना की प्रक्रिया का विवरण

सरकार के अनुसार, जनगणना 2026 से शुरू होकर 2027 तक दो चरणों में पूरी होगी। पहले चरण में 1 अक्टूबर 2026 तक जम्मू-कश्मीर, लद्दाख, हिमाचल, उत्तराखंड जैसे राज्यों में जनगणना होगी। दूसरे चरण में 1 मार्च 2027 तक देश के अन्य हिस्सों में जनगणना की जाएगी। पहले कर्मचारियों की ट्रेनिंग और आधारभूत तैयारी की जाएगी। अब यह देखना होगा कि जातीय जनगणना को लेकर यह राजनीतिक विवाद किस दिशा में जाता है और क्या केंद्र सरकार इस मुद्दे पर और स्पष्टीकरण देती है या नहीं।