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72 करोड़ के घोटाले में पूर्व विधायक रामनिवास सुरजाखेड़ा की विवादास्पद यात्रा

हरियाणा के पूर्व विधायक रामनिवास सुरजाखेड़ा 72 करोड़ रुपये के घोटाले में फंसे हैं। उनकी समाजसेवा की छवि अब विवादों में घिर गई है। जानें कैसे उन्होंने राजनीतिक महत्वाकांक्षाओं के लिए समाजसेवा का सहारा लिया और उनके खिलाफ लगे गंभीर आरोपों का क्या असर पड़ा। यह कहानी न केवल नरवाना बल्कि पूरे हरियाणा में चर्चा का विषय बनी हुई है। क्या यह एक सोची-समझी साजिश थी? जानने के लिए पढ़ें पूरा लेख।
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72 करोड़ के घोटाले में पूर्व विधायक रामनिवास सुरजाखेड़ा की विवादास्पद यात्रा

72 करोड़ का घोटाला: रामनिवास सुरजाखेड़ा की कहानी

72 करोड़ का घोटाला: पूर्व विधायक रामनिवास सुरजाखेड़ा की विवादास्पद यात्रा: हरियाणा के नरवाना से पूर्व विधायक रामनिवास सुरजाखेड़ा, जिन्होंने समाजसेवा के माध्यम से लोगों का दिल जीता, अब 72 करोड़ रुपये के घोटाले के आरोपों के चलते चर्चा में हैं।


सुरजाखेड़ा ने कभी गांव-गांव जाकर गरीबों की सहायता की और सामाजिक कार्यों में लाखों रुपये दान देने का वादा किया। हालांकि, उनके राजनीतिक और सामाजिक जीवन में कई विवाद भी शामिल रहे हैं। उन पर यौन शोषण के गंभीर आरोप भी लगे, जो बाद में हनीट्रैप के रूप में सामने आए, लेकिन इससे उनकी छवि को नुकसान जरूर हुआ। 72 करोड़ का घोटाला


यह कहानी एक ऐसे व्यक्ति की है, जो समाजसेवी के रूप में उभरा, लेकिन घोटालों और विवादों के कारण उसकी प्रतिष्ठा दांव पर लग गई।


रामनिवास सुरजाखेड़ा ने नरवाना में अपनी पहचान तेजी से बनाई। 2016 में, जब हरियाणा में भाजपा की सरकार थी, उन्होंने सामाजिक कार्यों में सक्रियता दिखाई। गोशालाओं को चंदा, गणेश उत्सव में सहयोग, और गरीब बेटियों की शादी में मदद—इन कार्यों ने उन्हें लोगों के बीच लोकप्रिय बना दिया।


हर गांव में उनकी उपस्थिति थी। कभी किसी को नलकूप के लिए 20 हजार रुपये नकद दे देते, तो कभी बड़े आयोजनों में 10 से 51 लाख रुपये के दान की घोषणा कर देते। लेकिन अब इन सबके पीछे की सच्चाई उजागर हो रही है। सूत्रों के अनुसार, ये दान और समाजसेवा उनकी राजनीतिक महत्वाकांक्षा को बढ़ाने का साधन थे।


राजनीति में सुरजाखेड़ा का सफर भी उतार-चढ़ाव से भरा रहा। उन्होंने कांग्रेस नेता रणदीप सुरजेवाला के करीबी बनकर पार्टी में कदम रखा, लेकिन 2019 के विधानसभा चुनाव में टिकट न मिलने पर कांग्रेस से दूरी बना ली। इसके बाद उन्होंने जननायक जनता पार्टी (जजपा) का दामन थामा और नरवाना से विधायक बने।


हालांकि, जजपा के साथ उनके रिश्ते ज्यादा समय तक नहीं टिके। उन्होंने पार्टी नेता दुष्यंत चौटाला से दूरी बना ली और तत्कालीन मुख्यमंत्री मनोहरलाल खट्टर की प्रशंसा करने लगे। जजपा के खिलाफ खुलकर बोलने के बाद उन्होंने पार्टी से इस्तीफा दे दिया और भाजपा में शामिल होने की कोशिश की। लेकिन जींद के महिला थाने में यौन शोषण का मामला दर्ज होने के कारण यह प्रयास सफल नहीं हो सका।


सुरजाखेड़ा के सोशल मीडिया पर आज भी मनोहरलाल खट्टर और विधानसभा स्पीकर हरविंदर कल्याण के साथ तस्वीरें मौजूद हैं। उनकी एक तस्वीर हाल ही में 3 जून 2025 को अपलोड की गई थी। लेकिन अब 72 करोड़ के घोटाले में उनकी गिरफ्तारी ने सभी को चौंका दिया है।


चर्चा है कि जब सुरजाखेड़ा कांग्रेस और जजपा से टिकट की दौड़ में थे, तब कुछ स्थानीय नेताओं ने उनके घोटालों की जानकारी पार्टी नेतृत्व को दी थी, लेकिन उस समय इस पर ध्यान नहीं दिया गया। आज वही आरोप उनकी गिरफ्तारी का कारण बने हैं।


रामनिवास सुरजाखेड़ा का यह मामला न केवल नरवाना बल्कि पूरे हरियाणा में चर्चा का विषय बना हुआ है। यह सवाल उठता है कि क्या समाजसेवा की आड़ में केवल राजनीतिक लाभ कमाने की कोशिश थी? या फिर यह एक सोची-समझी साजिश का हिस्सा था? इस घोटाले की जांच आगे क्या रंग लाएगी, यह समय बताएगा। लेकिन इतना तय है कि सुरजाखेड़ा की कहानी लोगों के लिए एक सबक है—हर चमकती चीज सोना नहीं होती।