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Bihar Elections 2025: प्रशांत किशोर ने BJP पर गंभीर आरोप लगाए, क्या लोकतंत्र खतरे में है?

Bihar Elections 2025 में जन सुराज पार्टी के संस्थापक प्रशांत किशोर ने भाजपा पर गंभीर आरोप लगाए हैं। उन्होंने कहा कि भाजपा ने अपने विरोधियों को चुनावी प्रक्रिया से बाहर करने के लिए दबाव डाला। किशोर ने केंद्रीय नेताओं पर आरोप लगाया कि उन्होंने उम्मीदवारों को धमकाया और नामांकन वापस लेने के लिए मजबूर किया। इस घटनाक्रम ने बिहार के राजनीतिक माहौल को गर्म कर दिया है और लोकतंत्र की मूल भावना पर सवाल उठाए हैं। क्या यह चुनावी प्रक्रिया की निष्पक्षता को प्रभावित करेगा? जानें पूरी जानकारी इस लेख में।
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Bihar Elections 2025: प्रशांत किशोर ने BJP पर गंभीर आरोप लगाए, क्या लोकतंत्र खतरे में है?

Bihar Election 2025: प्रशांत किशोर के आरोप


Bihar Election 2025: बिहार विधानसभा चुनाव के संदर्भ में राजनीतिक आरोपों का दौर तेज हो गया है। जन सुराज पार्टी के संस्थापक प्रशांत किशोर ने भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) पर गंभीर आरोप लगाए हैं। पटना में आयोजित एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में, उन्होंने कहा कि बिहार में भी वही राजनीतिक साजिश चल रही है, जैसा हाल ही में गुजरात के सूरत में लोकसभा चुनावों के दौरान देखा गया था, जहां भाजपा ने अपने विरोधियों को चुनावी मैदान से बाहर कर दिया था। किशोर ने आरोप लगाया कि भाजपा ने जन सुराज पार्टी के तीन विधानसभा क्षेत्रों दानापुर, गोपालगंज और ब्रह्मपुर में उनके उम्मीदवारों पर दबाव डाला, धमकाया और चुनाव लड़ने से रोका।


भाजपा के बड़े नेताओं की भूमिका


प्रशांत किशोर ने कहा कि भाजपा के शीर्ष नेता, जिनमें केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह और केंद्रीय मंत्री धर्मेंद्र प्रधान शामिल हैं, ने जन सुराज पार्टी के उम्मीदवारों को चुनावी प्रक्रिया से पीछे हटने के लिए मजबूर किया। उन्होंने बताया कि दानापुर से पार्टी के प्रत्याशी अखिलेश कुमार उर्फ मुटुर साव को धमकाया गया और वे अचानक लापता हो गए। हालांकि, बाद में यह स्पष्ट हुआ कि उन्हें अगवा नहीं किया गया था, बल्कि भाजपा नेताओं ने उन्हें डराकर नामांकन से रोक दिया। किशोर ने इस संदर्भ में एक तस्वीर भी प्रस्तुत की जिसमें मुटुर साव अमित शाह के साथ दिखाई दे रहे हैं।


सत्यप्रकाश तिवारी का नामांकन वापस लेना


इसी तरह, ब्रह्मपुर विधानसभा क्षेत्र से जन सुराज पार्टी के उम्मीदवार डॉ. सत्यप्रकाश तिवारी पर भी भाजपा के नेताओं द्वारा दबाव डालने का आरोप लगाया गया। किशोर ने कहा कि उनके घर पर केंद्रीय मंत्री धर्मेंद्र प्रधान और अन्य भाजपा नेताओं की बैठक हुई, जिसकी तस्वीर उन्होंने मीडिया को दिखाई। इसके बाद, सत्यप्रकाश तिवारी ने अपना नामांकन वापस ले लिया, जो इस दबाव का परिणाम माना जा रहा है।


गोपालगंज में भी दबाव


गोपालगंज सीट से जन सुराज के उम्मीदवार शशि शेखर सिन्हा के मामले में भी कुछ ऐसा ही हुआ। किशोर ने बताया कि वह हाल ही में पार्टी के लिए सक्रिय प्रचार कर रहे थे, लेकिन अचानक उन्होंने अपना नामांकन वापस ले लिया और अपना मोबाइल फोन भी बंद कर दिया। कुछ घंटों बाद भाजपा के साथ उनकी तस्वीरें सामने आईं, जिससे यह स्पष्ट होता है कि उन पर भी राजनीतिक दबाव बनाया गया था।


लोकतंत्र पर खतरा


प्रशांत किशोर ने यह भी कहा कि भाजपा इस प्रकार के राजनीतिक दबाव और साजिशों के माध्यम से लोकतंत्र की मूल भावना और चुनावी प्रक्रिया को नुकसान पहुंचा रही है। उन्होंने वाल्मीकिनगर सीट से जन सुराज के प्रत्याशी दृग नारायण प्रसाद के मामले में भी आरोप लगाया कि उन्हें जदयू के स्थानीय नेताओं ने डराया और धमकाया। किशोर ने कहा कि इस प्रकार के राजनीतिक हस्तक्षेप से चुनाव की निष्पक्षता और पारदर्शिता पर गंभीर सवाल उठ रहे हैं।


राजनीतिक नैतिकता पर सवाल


इस घटनाक्रम से यह स्पष्ट है कि बिहार विधानसभा चुनाव केवल सीटों की लड़ाई नहीं रह गई है, बल्कि यह लोकतांत्रिक मूल्यों, राजनीतिक नैतिकता और स्वतंत्र चुनाव प्रणाली की साख का भी सवाल बन चुका है। प्रशांत किशोर के आरोपों ने न केवल भाजपा बल्कि पूरे राजनीतिक तंत्र को कठघरे में खड़ा कर दिया है, जिससे आने वाले दिनों में राजनीतिक माहौल और भी गर्माने की संभावना है।