CJI गवई ने जूता फेंकने की घटना पर दी प्रतिक्रिया, माफी और सोशल मीडिया के खतरों पर जताई चिंता
नई दिल्ली में CJI गवई की प्रतिक्रिया
नई दिल्ली: भारत के मुख्य न्यायाधीश (CJI) बीआर गवई ने अपने रिटायरमेंट से पहले सुप्रीम कोर्ट में एक वकील द्वारा उन पर जूता फेंकने की कोशिश के बारे में खुलकर बात की।
उन्होंने पत्रकारों से बातचीत में कहा कि उन्होंने उस वकील को तुरंत माफ कर दिया था। इसके साथ ही, उन्होंने सोशल मीडिया और एआई द्वारा निर्मित क्लिप्स के संभावित खतरों पर भी चिंता व्यक्त की, जिनमें घटनाओं को गलत तरीके से प्रस्तुत किया जाता है।
वकील को माफ करने का कारण
CJI गवई ने स्पष्ट किया कि वकील राकेश किशोर को माफ करने का निर्णय उन्होंने उसी क्षण लिया जब उसने जूता फेंका। बार एंड बेंच के अनुसार, गवई ने अपने आधिकारिक निवास पर पत्रकारों से बातचीत करते हुए कहा कि न्यायपालिका के पद पर रहना बड़े दिल और धैर्य के साथ निर्णय लेने का प्रतीक है। उन्होंने इस घटना को व्यक्तिगत हमला मानने के बजाय संयम और क्षमा को प्राथमिकता दी।
सोशल मीडिया और एआई क्लिप्स पर चिंता
गवई ने बातचीत के दौरान सोशल मीडिया के दुष्प्रभावों का उल्लेख किया। उन्होंने कहा कि कई बार लोग कोर्ट में जो नहीं कहते, वह सोशल मीडिया पर गलत तरीके से प्रस्तुत किया जाता है। उदाहरण देते हुए उन्होंने कहा कि कुछ एआई क्लिप्स में दिखाया गया कि जूता जस्टिस विनोद चंद्रन से मिस होकर उन्हें लगा। गवई ने कहा कि तकनीक के लाभों के साथ-साथ इसके नुकसान भी हैं, क्योंकि गलत सूचनाएं तेजी से फैलती हैं।
घटना का पूरा विवरण
यह घटना तब हुई जब वकील राकेश किशोर ने सुप्रीम कोर्ट की कार्यवाही के दौरान अचानक जूता फेंक दिया। वह भगवान विष्णु की मूर्ति के पुनर्निर्माण से संबंधित टिप्पणी को लेकर नाराज थे। जूता फेंकने के बाद उन्होंने कोर्ट में 'सनातन धर्म का अपमान नहीं सहेंगे' के नारे भी लगाए। सुरक्षा कर्मियों ने तुरंत उन्हें हिरासत में लिया और अदालत की गरिमा भंग करने के आरोप लगाए गए।
बार काउंसिल की कार्रवाई
घटना के बाद बार काउंसिल ने वकील राकेश किशोर के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की और उनकी वकालत का लाइसेंस निलंबित कर दिया। काउंसिल ने कहा कि अदालत की गरिमा पर हमला किसी भी स्थिति में सहन नहीं किया जा सकता। हालांकि, CJI गवई ने इसे व्यक्तिगत मामला नहीं माना और किशोर को माफ कर दिया। उन्होंने कहा कि न्यायपालिका की शक्ति क्षमा करने में भी निहित है।
गवई का संतुलित संदेश रिटायरमेंट से पहले
रिटायरमेंट से पहले, गवई ने न्यायिक मूल्यों, संयम और संवाद को बनाए रखने का संदेश दिया। उन्होंने कहा कि जजों को कई बार कठिन परिस्थितियों का सामना करना पड़ता है, लेकिन सही निर्णय वही है जो व्यक्तिगत भावनाओं से ऊपर उठकर लिया जाए। गवई के अनुसार, अदालत का मुख्य कार्य न्याय प्रदान करना है, और इसका पहला सिद्धांत संतुलन और धैर्य है। इसलिए उन्होंने इस घटना को वहीं समाप्त करना उचित समझा।
