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IAS अधिकारी अर्पणा यू पर गंभीर आरोप, फिर भी महत्वपूर्ण पद पर तैनात

IAS अधिकारी अर्पणा यू पर भ्रष्टाचार के गंभीर आरोप लगे हैं, जिसमें आंध्र प्रदेश में स्किल डेवलपमेंट घोटाला शामिल है। इसके बावजूद, उन्हें उत्तर प्रदेश सरकार में महत्वपूर्ण पद पर तैनात किया गया है। यह स्थिति सरकार की जीरो टॉलरेंस नीति पर सवाल उठाती है। जानें इस विवाद की पूरी कहानी और अर्पणा यू की भूमिका के बारे में।
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IAS अधिकारी अर्पणा यू पर गंभीर आरोप, फिर भी महत्वपूर्ण पद पर तैनात

IAS अधिकारी अर्पणा यू की स्थिति

IAS अर्पणा यू: उत्तर प्रदेश की योगी आदित्यनाथ सरकार भ्रष्टाचार के खिलाफ जीरो टॉलरेंस नीति का दावा कर रही है। मुख्यमंत्री लगातार भ्रष्टाचारियों के खिलाफ कार्रवाई के निर्देश दे रहे हैं, लेकिन कुछ आईएएस अधिकारियों को दी गई महत्वपूर्ण पदस्थापनाएं इन दावों पर सवाल उठाती हैं। अर्पणा यू, जो वर्तमान में उत्तर प्रदेश सरकार में मेडिकल एजुकेशन विभाग की सचिव हैं, इस समय चर्चा में हैं। इसके साथ ही, उन्हें डायरेक्टर जनरल (DG), मेडिकल एजुकेशन का अतिरिक्त चार्ज भी सौंपा गया है।


भ्रष्टाचार के गंभीर आरोप

IAS अधिकारी अर्पणा यू पर कई गंभीर आरोप लगे हैं, जिसके चलते उन्हें पहले अपने पद से हटाया गया था। आंध्र प्रदेश में हुए लगभग तीन हजार करोड़ रुपये के स्किल डेवलपमेंट घोटाले में उनका नाम सामने आया था। यह घोटाला तब उजागर हुआ जब अर्पणा आंध्र प्रदेश में इंटर कैडर डेप्युटेशन पर तैनात थीं। उन पर आरोप था कि उनके पति को 3300 करोड़ रुपये का ठेका मिला था, जिसे अर्पणा ने दिलवाया था। इस मामले की जांच में अर्पणा और उनके पति की मिलीभगत भी सामने आई थी। उस समय अर्पणा के पति नोएडा में सीमेंस कंपनी में कार्यरत थे।


सीमेंस से फर्जीवाड़ा

कुछ रिपोर्टों के अनुसार, आंध्र प्रदेश में कौशल विकास परियोजना के लिए सीमेंस इंडस्ट्री सॉफ्टवेयर प्राइवेट लिमिटेड से 58 करोड़ रुपये में सॉफ्टवेयर खरीदा गया था। दस्तावेजों में फर्जीवाड़ा कर सॉफ्टवेयर की कीमत 3300 करोड़ रुपये तक बढ़ा दी गई। आरोप है कि तत्कालीन आंध्र प्रदेश सरकार ने इस प्रोजेक्ट की 10 फीसदी राशि, यानी लगभग 371 करोड़ रुपये का भुगतान कर दिया था।


यूपी में पीएफ घोटाले में संलिप्तता

जब अर्पणा आंध्र प्रदेश से लौटकर यूपी में तैनात हुईं, तो उन्हें उत्तर प्रदेश पॉवर कॉर्पोरेशन का प्रबंध निदेशक जैसे महत्वपूर्ण पद पर नियुक्त किया गया। इसी बीच, यूपी पावर कॉरपोरेशन लिमिटेड (यूपीपीसीएल) में 4,300 करोड़ रुपये से अधिक का भविष्य निधि घोटाला सामने आया। यह राशि मुख्य रूप से दीवान हाउसिंग फाइनेंस कॉर्पोरेशन (DHFL) और अन्य हाउसिंग फाइनेंस कंपनियों में निवेश की गई थी। इस मामले के बढ़ने पर अर्पणा को उनके पद से हटा दिया गया। यह घोटाला 2019 में सामने आया था और मार्च 2020 में इसकी जांच सीबीआई को सौंपी गई थी।


महत्वपूर्ण पद पर तैनाती पर सवाल

इन सभी घटनाओं के बीच यह सवाल उठता है कि आंध्र प्रदेश और यूपी के यूपीपीसीएल में हुए पीएफ घोटाले में नाम आने के बावजूद अर्पणा को महत्वपूर्ण पद क्यों सौंपा गया है। भ्रष्टाचार के प्रति जीरो टॉलरेंस की नीति अपनाने वाली सरकार इस मामले में चुप क्यों है? इतने गंभीर आरोपों के बावजूद अर्पणा यू को उत्तर प्रदेश सरकार में मेडिकल एजुकेशन विभाग की सचिव के पद पर तैनात किया गया है।