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IndiGo एयरलाइन के संकट का कारण: 2000 उड़ानें रद्द, यात्रियों की बढ़ती परेशानियाँ

IndiGo एयरलाइन इस समय अपने इतिहास के सबसे कठिन दौर से गुजर रही है, जिसमें पिछले पांच दिनों में 2000 से अधिक उड़ानें रद्द हो गई हैं। इस स्थिति के पीछे पायलटों की कमी, नए सरकारी नियम और तकनीकी समस्याएँ हैं। यात्रियों को एयरपोर्ट पर रात बिताने के लिए मजबूर होना पड़ा है। जानें इस संकट के कारण और इसके प्रभाव के बारे में।
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IndiGo एयरलाइन के संकट का कारण: 2000 उड़ानें रद्द, यात्रियों की बढ़ती परेशानियाँ

IndiGo एयरलाइन का संकट

नई दिल्ली: देश की सबसे विश्वसनीय और समय पर उड़ान भरने वाली एयरलाइन IndiGo इस समय अपने इतिहास के सबसे कठिन दौर से गुजर रही है। पिछले पांच दिनों में 2000 से अधिक उड़ानें रद्द होने के कारण हवाई अड्डों का दृश्य किसी व्यस्त रेलवे स्टेशन जैसा हो गया है। आखिरकार, देश की सबसे मजबूत एयरलाइन का पूरा तंत्र कैसे बिखर गया और हजारों यात्री एयरपोर्ट पर रात बिताने को मजबूर हुए, इसके पीछे की वजहें अब स्पष्ट हो रही हैं। यह संकट अचानक नहीं आया, बल्कि इसके पीछे पायलटों की कमी, नए सरकारी नियम और तकनीकी समस्याओं का एक जटिल मिश्रण है।


इस संकट की शुरुआत कुछ हफ्ते पहले ही उड़ानों में देरी और तकनीकी खराबियों के साथ हुई थी, जिसे एयरलाइन मौसम और भीड़ का बहाना बनाकर टालने की कोशिश कर रही थी। लेकिन स्थिति तब बिगड़ गई जब सरकार ने पायलटों की थकान को दूर करने के लिए फ्लाइट ड्यूटी टाइम लिमिटेशन (FDTL) के नए और सख्त नियम लागू कर दिए। इन नियमों के तहत पायलटों को अनिवार्य आराम देना आवश्यक हो गया। IndiGo पहले से ही स्टाफ की कमी से जूझ रही थी और नए नियमों के कारण बड़ी संख्या में पायलटों को रोस्टर से हटाकर आराम पर भेजना पड़ा। बैकअप स्टाफ की कमी के कारण उड़ानों को रद्द करने के अलावा कोई विकल्प नहीं बचा।


समस्या यहीं खत्म नहीं हुई, बल्कि एयरबस A320 विमानों से जुड़े एक सुरक्षा अलर्ट ने स्थिति को और भी गंभीर बना दिया। रात की उड़ानों के दौरान तकनीकी चेतावनी आने के बाद कई लेट-नाइट फ्लाइट्स को तुरंत रद्द करना पड़ा। चूंकि नए नियम रात 12 बजे के बाद लागू हो गए थे, इसलिए अचानक रद्दीकरण से क्रू की उपलब्धता का पूरा गणित बिगड़ गया। IndiGo का विशाल नेटवर्क, जो कभी उसकी ताकत था, अब उसकी कमजोरी बन गया। नेटवर्क इतना बड़ा था कि एक जगह शेड्यूल बिगड़ने पर पूरे देश में इसका 'चेन रिएक्शन' हुआ और हजारों क्रू मेंबर्स व विमान गलत स्थानों पर फंस गए।


बढ़ते संकट को देखते हुए डीजीसीए ने अब यू-टर्न लेते हुए उस नियम को वापस ले लिया है, जिसमें पायलट के साप्ताहिक आराम को छुट्टी से बदलने की मनाही थी, जिससे एयरलाइन को थोड़ी राहत मिलने की उम्मीद है। हालांकि, पायलट यूनियन ने सीधे तौर पर प्रबंधन को कटघरे में खड़ा किया है। उनका आरोप है कि प्रबंधन को नए नियमों की जानकारी पहले से थी, लेकिन उन्होंने भर्तियों के बजाय स्टाफ कम करने की नीति अपनाई, जिसका खामियाजा अब भुगतना पड़ रहा है। चाहे वजह तकनीकी हो या प्रशासनिक, लेकिन इस मिस-मैनेजमेंट की असली सजा आम जनता को भुगतनी पड़ रही है, जिसे रद्द उड़ानों और आसमान छूते किराए के बीच पिसना पड़ रहा है।