NCERT के पाठ्यक्रम में बदलाव पर सियासी विवाद बढ़ा
सियासी घमासान का नया मोड़
नई दिल्ली: NCERT द्वारा इतिहास की किताबों से मुगल सम्राट अकबर और मैसूर के शासक टीपू सुल्तान के साथ 'महान' शब्द को हटाने की खबर ने राजनीतिक हलचल को तेज कर दिया है। असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा ने इस कदम का खुलकर समर्थन किया है।
सरमा का बयान
बोंगाईगांव में एक कार्यक्रम के दौरान, सरमा ने कहा, 'टीपू-इपू को मारो एकदम, जहां भेजना है उधर भेज दो, समुंदर में फेंक दो।' उन्होंने यह भी कहा कि उन्होंने संशोधित पाठ्यपुस्तकों को नहीं देखा है, लेकिन यदि NCERT ने यह बदलाव किया है, तो वह इसका स्वागत करते हैं।
विवाद की उत्पत्ति
यह विवाद तब शुरू हुआ जब RSS नेता सुनील आंबेकर ने कहा कि NCERT ने अकबर द ग्रेट और टीपू सुल्तान द ग्रेट जैसे विशेषणों को हटा दिया है। उन्होंने स्पष्ट किया कि किसी ऐतिहासिक चरित्र का नाम नहीं हटाया गया है, केवल अनावश्यक उपाधियों को बदला गया है। इसके बाद विपक्षी दलों की प्रतिक्रियाएं तेज हो गईं।
कांग्रेस सांसद की प्रतिक्रिया
कांग्रेस सांसद इमरान मसूद ने इस बदलाव की आलोचना करते हुए कहा कि यह इतिहास को फिर से लिखने की कोशिश है और उन शासकों के योगदान को कम करके दिखाना है जिन्होंने उपमहाद्वीप को आकार दिया। उन्होंने कहा, 'किताबों से किसी का नाम या उपाधि हटाने से उनका ऐतिहासिक महत्व नहीं मिटेगा।' उन्होंने यह भी कहा कि आखिरी मुगल बादशाह ने ब्रिटिश गुलामी स्वीकार करने से इनकार किया, भले ही इसके लिए उन्हें अपने बेटों का बलिदान देना पड़ा।
कांग्रेस नेता का बयान
कांग्रेस नेता के. मुरलीधरन ने भी NCERT के फैसले को गलत ठहराते हुए कहा कि अकबर ने अपने शासन में सांप्रदायिक सौहार्द को बढ़ावा दिया और हिंदू प्रजा को स्वतंत्रता दी। वहीं, टीपू सुल्तान ने अंग्रेजों से लड़ते हुए वीरगति को प्राप्त किया था, इसलिए उन्हें 'महान' कहना उचित है।
VHP का समर्थन
दूसरी ओर, NCERT के कदम का समर्थन करते हुए VHP प्रवक्ता विनोद बंसल ने आरोप लगाया कि पिछले वर्षों में इतिहास को तोड़-मरोड़कर पेश किया गया है। उन्होंने कहा, 'जब महाराणा प्रताप महान हैं तो अकबर कैसे महान हो सकते हैं?' उन्होंने NCERT को सुधार की दिशा में कदम बढ़ाने के लिए धन्यवाद भी दिया।
