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PM मोदी ने लोकसभा में राजनाथ और जयशंकर के भाषण की सराहना की

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने लोकसभा में विदेश मंत्री एस. जयशंकर और रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह के भाषणों की सराहना की। राजनाथ ने आपरेशन सिंदूर पर चर्चा की, जिसमें भारत की सुरक्षा और आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई पर जोर दिया गया। जयशंकर ने बताया कि कैसे भारत के दृष्टिकोण को दुनिया ने सुना। गृह मंत्री अमित शाह भी आज लोकसभा में अपने विचार साझा करेंगे। जानें इस महत्वपूर्ण चर्चा के बारे में और क्या कहा गया।
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PM मोदी ने लोकसभा में राजनाथ और जयशंकर के भाषण की सराहना की

गृह मंत्री अमित शाह का लोकसभा में संबोधन


  • आज गृह मंत्री अमित शाह लोकसभा को करेंगे संबोधित


नई दिल्ली: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने लोकसभा में विदेश मंत्री एस. जयशंकर और रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह के भाषणों की सराहना की। राजनाथ ने सोमवार को आपरेशन सिंदूर पर चर्चा की शुरुआत की थी, जो आज भी जारी है। गृह मंत्री अमित शाह आज लोकसभा में अपने विचार साझा करेंगे।


सशस्त्र बलों के साहस पर गहन दृष्टिकोण

PM मोदी ने लोकसभा में राजनाथ और जयशंकर के भाषण की सराहना की


राजनाथ और जयशंकर ने आपरेशन सिंदूर की सफलता और भारत की वैश्विक स्थिति को लोकसभा में स्पष्ट रूप से प्रस्तुत किया। पीएम मोदी ने एक पोस्ट में कहा, "राजनाथ जी और जयशंकर जी का भाषण काबिलेतारीफ है। रक्षा मंत्री ने आपरेशन सिंदूर में भारत के सुरक्षा तंत्र की सफलता और हमारे सशस्त्र बलों के साहस पर गहन दृष्टिकोण प्रस्तुत किया।"


भारत के दृष्टिकोण को दुनिया ने सुना

विदेश मंत्री के भाषण की प्रशंसा करते हुए पीएम मोदी ने कहा, "जयशंकर जी का भाषण भी उत्कृष्ट था। उन्होंने बताया कि कैसे दुनिया ने आपरेशन सिंदूर के माध्यम से आतंकवाद के खतरे से लड़ने के भारत के दृष्टिकोण को स्पष्ट रूप से सुना है।"


आतंकवाद के खात्मे के लिए हम कुछ भी कर सकते हैं

रक्षा मंत्री ने आपरेशन सिंदूर पर चर्चा की शुरुआत करते हुए कहा कि भारत आतंकवाद को जड़ से उखाड़ फेंकने के लिए किसी भी हद तक जा सकता है। उन्होंने बताया कि पाकिस्तान में आतंकी ठिकानों को निशाना बनाने के लिए शुरू किया गया आपरेशन सिंदूर फिलहाल रोक दिया गया है, लेकिन किसी भी दुस्साहस की स्थिति में इसे फिर से शुरू किया जा सकता है।


190 देशों में से केवल 3 ने किया विरोध

विदेश मंत्री जयशंकर ने कहा कि पहलगाम हमले के बाद भारत के कूटनीतिक प्रयासों का नतीजा यह हुआ कि संयुक्त राष्ट्र के 190 देशों में से केवल तीन ने ही आपरेशन सिंदूर का विरोध किया। उन्होंने कहा, "इस बात पर भारी समर्थन मिला कि जिस देश पर हमला हुआ है, उसे अपनी रक्षा करने का अधिकार है।"


अतिरिक्त जानकारी

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