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PMC बैंक घोटाला: बिना लोन चुकाए 150 करोड़ की बकाया राशि का रहस्य

PMC बैंक एक बार फिर विवादों में है, जहां एक ऑडिट रिपोर्ट ने चौंकाने वाले खुलासे किए हैं। बैंक ने करोड़ों रुपये के लोन को कागजों पर मंजूरी दी, लेकिन वास्तविकता में कोई राशि नहीं दी गई। इसके चलते बकाया राशि 150 करोड़ रुपये तक पहुंच गई है। जानें इस घोटाले के पीछे की सच्चाई और बैंकिंग प्रणाली में मौजूद खामियों के बारे में।
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PMC बैंक घोटाला: बिना लोन चुकाए 150 करोड़ की बकाया राशि का रहस्य

PMC बैंक विवाद में नया मोड़

PMC बैंक घोटाला: पंजाब एंड महाराष्ट्र को-ऑपरेटिव बैंक एक बार फिर विवादों के केंद्र में है। बैंक की ऋण नीति पर सवाल उठाए जा रहे हैं। हाल ही में आई एक ऑडिट रिपोर्ट में चौंकाने वाले तथ्य सामने आए हैं। बैंक ने करोड़ों रुपये के लोन को कागजों पर मंजूरी दी, लेकिन वास्तविकता में एक भी रुपये का वितरण नहीं किया गया, जिससे ब्याज के चलते बकाया राशि 150 करोड़ रुपये तक पहुंच गई है।


घोटाले का विवरण

हाल की एक ऑडिट रिपोर्ट में यह खुलासा हुआ है कि बैंक ने पृथ्वी रियल्टर्स एंड होटल्स प्राइवेट लिमिटेड को 87.5 करोड़ रुपये का लोन कागजों पर मंजूर किया, लेकिन वास्तव में कंपनी को कोई राशि नहीं दी गई। इसके बावजूद, ब्याज जोड़ने के कारण इस 'लोन' की बकाया राशि अब 150 करोड़ रुपये से अधिक हो चुकी है। जांच में पता चला कि बैंक ने पहले 10 करोड़ रुपये की मॉर्गेज ओवरड्राफ्ट सुविधा दी थी, जिसे बाद में 87.5 करोड़ रुपये तक बढ़ा दिया गया। इसके बदले में कंपनी ने ठाणे जिले की जमीन गिरवी रखी। लेकिन 2012 के बाद से न तो कोई राशि खाते में जमा हुई और न ही निकाली गई।


ब्याज की बढ़ती राशि

ऑडिट में यह भी बताया गया कि खाते में केवल ब्याज की एंट्री होती रही, न तो लोन जारी हुआ, न ही उसका उपयोग हुआ और न ही कोई भुगतान किया गया। जब मामला आर्बिट्रेशन ट्राइब्यूनल में पहुंचा, तो इसे एक गहरी साजिश और धोखाधड़ी करार दिया गया। ट्राइब्यूनल ने कहा कि यह कोई साधारण वित्तीय गड़बड़ी नहीं है, बल्कि जानबूझकर की गई धोखाधड़ी है, जिसमें फर्जी दस्तावेज और गलत जानकारियां शामिल हैं। इसलिए सामान्य आर्बिट्रेशन इस पर लागू नहीं हो सकता।


NCLT में मामला

अब यह मामला नेशनल कंपनी लॉ ट्राइब्यूनल (NCLT) में चल रहा है, जहां यह तय किया जाएगा कि जब वास्तव में लोन दिया ही नहीं गया, तो बैंक इस बकाया राशि की वसूली कैसे कर सकता है। विशेषज्ञों का मानना है कि यह मामला देश की बैंकिंग प्रणाली में मौजूद गंभीर खामियों को उजागर करता है, जहां बिना वास्तविक फंड ट्रांसफर के केवल कागजी प्रक्रिया से भारी-भरकम देनदारी उत्पन्न की जा सकती है। इसका खामियाजा आमतौर पर ग्राहकों और कंपनियों को भुगतना पड़ता है।


2019 में PMC बैंक पर RBI का प्रतिबंध

PMC बैंक में घोटाले का खुलासा सितंबर 2019 में हुआ, जब भारतीय रिज़र्व बैंक ने PMC बैंक पर प्रतिबंध लगाए। जांच में बैंक में 6,500 करोड़ रुपये के छुपे हुए नुकसान का पता चला, जिसमें से 70% नुकसान HDIL से जुड़ा था। बैंक के पूर्व प्रबंध निदेशक जॉय थॉमस और HDIL के प्रमोटर राकेश और सारंग वाधवानी को धोखाधड़ी और मनी लॉन्ड्रिंग के आरोप में गिरफ्तार किया गया। इस घोटाले के कारण हजारों जमाकर्ताओं को भारी वित्तीय संकट का सामना करना पड़ा, क्योंकि निकासी की सीमा शुरू में केवल 1,000 रुपये तक सीमित कर दी गई थी।