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SHANTI Bill 2025: भारत में कृषि और तकनीक में नया मोड़

SHANTI Bill 2025 के पारित होने से भारत में कृषि और तकनीक के क्षेत्र में नए अवसरों का द्वार खुल गया है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इसे तकनीकी और नवाचार के लिए महत्वपूर्ण बताया है। इस कानून के लागू होने से निजी क्षेत्र में भागीदारी बढ़ेगी और युवाओं के लिए नए अवसर उत्पन्न होंगे। न्यूक्लियर तकनीक का शांतिपूर्ण उपयोग कृषि में खाद्य सुरक्षा को बढ़ाने में मदद करेगा। जानें इस विधेयक के महत्व, विशेषज्ञों की राय और भविष्य की संभावनाओं के बारे में।
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SHANTI Bill 2025: भारत में कृषि और तकनीक में नया मोड़

SHANTI Bill 2025 का पारित होना

संसद के दोनों सदनों ने SHANTI Bill 2025 को मंजूरी दे दी है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इसे भारत के तकनीकी और नवाचार क्षेत्र के लिए एक महत्वपूर्ण कदम बताया है। इस कानून के लागू होने से निजी क्षेत्र में भागीदारी बढ़ेगी और युवाओं के लिए नए अवसर उत्पन्न होंगे। इसके साथ ही, देश में न्यूक्लियर तकनीक के शांतिपूर्ण उपयोग, विशेषकर कृषि में इसके योगदान पर चर्चा फिर से शुरू हो गई है।


SHANTI Bill 2025 का महत्व

यह विधेयक भारत में न्यूक्लियर अनुसंधान और इसके व्यावहारिक उपयोग को कानूनी और संस्थागत आधार प्रदान करता है। अब तक, न्यूक्लियर तकनीक को मुख्यतः बिजली उत्पादन या रक्षा से जोड़ा जाता रहा है, लेकिन भारत में इसका उपयोग कृषि और खाद्य सुरक्षा में दशकों से हो रहा है।


विशेषज्ञों की राय

नीति विशेषज्ञों का मानना है कि यह बिल अनुसंधान और स्टार्टअप्स को स्पष्ट दिशा-निर्देश देगा, निजी निवेश को प्रोत्साहित करेगा और अंतरराष्ट्रीय सहयोग को बढ़ावा देगा।


भारत की अंतरराष्ट्रीय भूमिका

संयुक्त राष्ट्र के खाद्य और कृषि संगठन FAO और इंटरनेशनल एटॉमिक एनर्जी एजेंसी IAEA भारत सहित कई देशों के साथ मिलकर स्थायी कृषि विकास पर काम कर रहे हैं।


मुख्य आंकड़े

हर साल लगभग 14 मिलियन अमेरिकी डॉलर का निवेश किया जा रहा है, और 200 से अधिक तकनीकी सहयोग परियोजनाएं चल रही हैं। इसके अलावा, 30 से ज्यादा समन्वित अनुसंधान परियोजनाएं भी सक्रिय हैं।


न्यूक्लियर तकनीक का कृषि में योगदान

भारत में न्यूक्लियर आधारित तकनीकों से अब तक 72 से अधिक नई फसल किस्में विकसित की जा चुकी हैं, जिनमें सरसों, सोयाबीन, सूरजमुखी, दालें, चावल, जूट और केला शामिल हैं।


न्यूक्लियर तकनीक के लाभ

इस तकनीक का उपयोग नियंत्रित रेडिएशन के माध्यम से बीजों में प्राकृतिक बदलाव लाने के लिए किया जाता है, जिससे अधिक उपज, कम समय में पकने वाली फसलें, रोग और कीट प्रतिरोध, और जलवायु परिवर्तन के प्रति सहनशीलता प्राप्त होती है।


BARC का योगदान

भाभा एटॉमिक रिसर्च सेंटर (BARC) ने इस क्षेत्र में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। विशेषज्ञों का कहना है कि इन किस्मों से उत्पादन में वृद्धि और फसलों की गुणवत्ता में सुधार हुआ है।


खाद्य सुरक्षा और किसानों को लाभ

न्यूक्लियर तकनीक से विकसित फूड इरैडिएशन खाद्य पदार्थों की शेल्फ लाइफ बढ़ाता है, कीड़ों और बैक्टीरिया को खत्म करता है, और कोल्ड स्टोरेज पर निर्भरता को कम करता है। इससे किसानों की आय बढ़ती है और भारत की वैश्विक कृषि व्यापार में स्थिति मजबूत होती है।


भविष्य की संभावनाएं

SHANTI Bill 2025 के लागू होने से जलवायु परिवर्तन से निपटने वाली किस्मों पर अनुसंधान में तेजी आएगी, निजी कंपनियों और स्टार्टअप्स को नई तकनीक विकसित करने का अवसर मिलेगा, और भारत खाद्य सुरक्षा के क्षेत्र में वैश्विक नेतृत्व की दिशा में बढ़ेगा।