Tejashwi Yadav का बड़ा आरोप: क्या JDU के MLC दिनेश सिंह ने किया वोटिंग में घोटाला?

Tejashwi Yadav का गंभीर आरोप
Tejashwi Yadav: बिहार में मतदाता-सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण (SIR) को लेकर राजद नेता तेजस्वी यादव ने चुनाव आयोग पर गंभीर आरोप लगाए हैं। उन्होंने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म 'एक्स' पर पोस्ट करते हुए दावा किया कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के करीबी और जेडीयू के विधानपार्षद (MLC) दिनेश सिंह के नाम पर दो अलग-अलग जिलों और लोकसभा क्षेत्रों में वोट दर्ज हैं।
दिनेश सिंह के पास दो अलग-अलग EPIC ID
तेजस्वी ने बताया कि दिनेश सिंह के पास दो अलग-अलग EPIC ID REM0933267 और UTO1134527 हैं। इन IDs के आधार पर वे दो अलग-अलग विधानसभा क्षेत्रों में भी वोटर सूची में शामिल हैं। उनका कहना है कि SIR प्रक्रिया के तहत दिनेश सिंह ने दो अलग-अलग गणना फॉर्म भरे होंगे और संभवतः उन पर दो अलग-अलग हस्ताक्षर भी किए गए होंगे।
चुनाव आयोग पर सवाल
तेजस्वी ने यह भी पूछा कि क्या इन फॉर्म पर चुनाव आयोग के अधिकारियों ने हस्ताक्षर किए या फिर MLC ने स्वयं हस्ताक्षर किए? उन्होंने आरोप लगाया कि चुनाव आयोग द्वारा जारी नई ड्राफ्ट सूची में दिनेश सिंह के दो EPIC कार्ड और दो अलग-अलग क्षेत्रों में वोट होना गंभीर अनियमितता है।
नीतीश कुमार के खास 𝐌𝐋𝐂 श्री दिनेश सिंह का “वोट घोटाला” उजागर:-
— Tejashwi Yadav (@yadavtejashwi) August 14, 2025
⛔️ श्री दिनेश सिंह लंबे समय से 𝐉𝐃𝐔 के विधानपार्षद है।
⛔️ इनके पास एक दो अलग अलग 𝐄𝐏𝐈𝐂 𝐈𝐃 - 𝐑𝐄𝐌𝟎𝟗𝟑𝟑𝟐𝟖 और 𝐄𝐏𝐈𝐂 𝐈𝐃- 𝐔𝐓𝐎𝟏𝟏𝟑𝟒𝟓𝟐𝟕 है।
⛔️ इनके दो अलग-अलग जिलों के दो अलग-अलग लोकसभा… pic.twitter.com/1Yjg9pBXy8
दिनेश सिंह की पत्नी के नाम भी दो अलग-अलग वोट
तेजस्वी ने यह भी बताया कि दिनेश सिंह की पत्नी और वैशाली से सांसद वीणा देवी के नाम पर भी दो अलग-अलग वोट और EPIC ID दर्ज हैं। उन्होंने तंज करते हुए पूछा कि क्या मुख्यमंत्री के करीबी होने के कारण चुनाव आयोग ने इनका नाम दो जगह दर्ज रहने दिया?
राजद नेता का कड़ा सवाल
राजद नेता ने यह सवाल उठाया कि क्या यह NDA को फायदा पहुंचाने के लिए की गई चुनावी धांधली नहीं है? उन्होंने चुनौती दी कि चुनाव आयोग बताए कि क्या वह SIR प्रक्रिया में हुई इन गड़बड़ियों को स्वीकार करेगा और क्या दिनेश सिंह को दोनों जगहों से नोटिस भेजा जाएगा।
बिहार की सियासत में हलचल
तेजस्वी के इन आरोपों से बिहार की सियासत में हलचल मच गई है। विपक्ष इस मामले को चुनावी पारदर्शिता पर सवाल के रूप में देख रहा है। अब सबकी नजर चुनाव आयोग के रुख पर है कि वह इन गंभीर आरोपों पर क्या कार्रवाई करता है।