TMC में कल्याण बनर्जी का इस्तीफा: क्या पार्टी में है असंतोष का माहौल?

कल्याण बनर्जी का इस्तीफा: एक महत्वपूर्ण राजनीतिक कदम
तृणमूल कांग्रेस (TMC) के वरिष्ठ सांसद कल्याण बनर्जी ने सोमवार को लोकसभा में पार्टी के चीफ व्हिप के पद से इस्तीफा देकर एक बड़ा राजनीतिक कदम उठाया। यह निर्णय ऐसे समय में आया है जब पार्टी में सांसदों के बीच समन्वय की कमी पर चर्चा हो रही है। सूत्रों के अनुसार, पार्टी प्रमुख और पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने TMC सांसदों की एक वर्चुअल बैठक में संसद सत्र के दौरान समन्वय की कमी पर नाराजगी व्यक्त की थी। इसी बैठक के कुछ घंटों बाद बनर्जी ने अपने पद से इस्तीफा देने की घोषणा की।
कल्याण बनर्जी का स्पष्टीकरण: "मैं ही क्यों दोषी?"
मीडिया से बातचीत करते हुए कल्याण बनर्जी ने कहा, "मैंने लोकसभा में चीफ व्हिप के पद से इस्तीफा दिया है क्योंकि दीदी (ममता बनर्जी) ने सांसदों के बीच समन्वय की कमी की बात कही। तो इसका दोष मुझ पर आ गया। इसलिए मैंने पद छोड़ने का निर्णय लिया।" चार बार के सांसद और वरिष्ठ अधिवक्ता बनर्जी ने यह भी कहा कि उन्हें अपमानित महसूस हो रहा है क्योंकि अनुशासनहीनता और अनुपस्थित सांसदों पर कोई कार्रवाई नहीं हो रही, जबकि उन्हें बलि का बकरा बनाया जा रहा है।
अनुपस्थित सांसदों पर गंभीर आरोप
बनर्जी ने सांसदों की उपस्थिति को लेकर तीखी टिप्पणी की। उन्होंने आरोप लगाया कि जिन सांसदों को ममता बनर्जी ने टिकट दिया, वे शायद ही कभी संसद पहुंचते हैं। "साउथ कोलकाता, बैरकपुर, बांकुरा, नॉर्थ कोलकाता जैसे क्षेत्रों से TMC सांसद शायद ही लोकसभा आते हों। ऐसे में मैं क्या करूं? मेरी क्या गलती है? सारा दोष मुझ पर मढ़ा जा रहा है," उन्होंने कहा।
महुआ मोइत्रा और कीर्ति आजाद से टकराव का असर?
रिपोर्टों के अनुसार, बनर्जी की पार्टी के अन्य सांसदों—विशेषकर कृष्णानगर की सांसद महुआ मोइत्रा और पूर्व क्रिकेटर कीर्ति आजाद के साथ लगातार टकराव पार्टी के लिए असहज स्थिति पैदा कर रहा था। महुआ मोइत्रा के साथ हालिया विवाद को पार्टी में बदलाव की प्रक्रिया का ट्रिगर माना जा रहा है। कल्याण बनर्जी ने एक भावुक प्रतिक्रिया में कहा कि पार्टी में उन्हें लगातार अपमान सहना पड़ा, लेकिन नेतृत्व की ओर से उन्हें कोई समर्थन नहीं मिला। "दीदी कहती हैं कि लोकसभा सांसद लड़ रहे हैं। क्या मुझे गालियां देने वालों को बर्दाश्त करना चाहिए? मैंने पार्टी को सूचना दी, फिर भी कार्रवाई उनके खिलाफ नहीं बल्कि मेरे खिलाफ हुई," उन्होंने कहा।
TMC नेतृत्व पर सवाल और ममता पर तंज
कल्याण बनर्जी ने यह भी कहा कि अगर पार्टी उन्हें समर्थन नहीं दे सकती तो ममता बनर्जी को ही पार्टी अपनी मर्जी से चलानी चाहिए। बनर्जी, जो 1990 के दशक से ममता बनर्जी के करीबी रहे हैं, इस घटनाक्रम से काफी आहत नजर आए। उनका यह इस्तीफा पार्टी में अंदरूनी कलह और नेतृत्व के प्रति असंतोष की गवाही देता है।
भविष्य की चुनौतियाँ
कल्याण बनर्जी का इस्तीफा न केवल TMC के आंतरिक तंत्र में खींचतान को उजागर करता है, बल्कि यह भी सवाल उठाता है कि पार्टी अपने वरिष्ठ नेताओं की शिकायतों और सम्मान को कितना महत्व देती है। आने वाले दिनों में यह देखना दिलचस्प होगा कि पार्टी इस संकट को कैसे संभालती है और क्या इस घटना का प्रभाव 2024 के आम चुनावों तक पहुंचेगा।