अंबाला में इलेक्ट्रिक बसों की तैनाती से रोडवेज सेवा पर प्रभाव
अंबाला में इलेक्ट्रिक बसों का आगाज
अंबाला में 15 इलेक्ट्रिक बसों की शुरूआत ने पारंपरिक रोडवेज सेवाओं को चुनौती दी है। इन बसों के संचालन के लिए 35 परिचालकों की नियुक्ति की गई है, जिससे सामान्य बसों की कमी महसूस की जा रही है। इसके परिणामस्वरूप चंडीगढ़, दिल्ली, पंजाब और हिमाचल जैसे महत्वपूर्ण मार्गों पर बसों की संख्या में कमी आई है, जिससे यात्रियों को सीटें पाने में कठिनाई हो रही है।
इलेक्ट्रिक बसों के कारण स्टाफ में कमी
अंबाला रोडवेज पहले से ही स्टाफ की कमी का सामना कर रहा था। अब, इलेक्ट्रिक बसों पर अधिक परिचालकों की तैनाती के कारण सामान्य बसों के बेड़े पर नकारात्मक प्रभाव पड़ा है।
- ये इलेक्ट्रिक बसें मुख्य रूप से अंबाला शहर से कैंट और आस-पास के स्थानीय रूटों पर चलती हैं।
- इन बसों के चालक निजी कंपनी जेवीएम के हैं, जबकि टिकट संचालन रोडवेज के कर्मचारी करते हैं।
- 15 बसों के संचालन के लिए 35 परिचालकों की जिम्मेदारी है।
- कर्मचारी दो शिफ्ट में काम करते हैं, और छुट्टी या आपात स्थिति में शेड्यूल प्रभावित होता है।
यात्रियों की समस्याएं
एक परिवहन विशेषज्ञ के अनुसार, नई तकनीक को अपनाते समय स्टाफ बैलेंसिंग बेहद महत्वपूर्ण है। जब तक पर्याप्त भर्ती नहीं होगी, पारंपरिक नेटवर्क पर दबाव बना रहेगा।
यात्रियों को ई बसों में कोई पास मान्य नहीं है, टिकट की कीमतें अधिक हैं और गति भी कम है। जो लोग दिल्ली, लुधियाना, चंडीगढ़ या शिमला जैसे लंबी दूरी के रूटों पर यात्रा करते हैं, वे सामान्य बसों पर निर्भर हैं।
प्रमुख मार्गों पर प्रभाव
डेटा के अनुसार, कई प्रमुख मार्गों पर बसों की संख्या आधे से भी कम रह गई है:
- अंबाला कैंट से कालका रूट पर पहले 8 बसें थीं, अब केवल 3 रह गई हैं।
- जालंधर दिल्ली रूट पर पहले 3 बसें थीं, अब केवल 1 रह गई है।
- पटियाला दिल्ली पर पहले 12 बसें थीं, अब 4 रह गई हैं।
- दिल्ली लुधियाना मार्ग पर पहले 9 बसें थीं, अब केवल 2 रह गई हैं।
- हिमाचल शिमला रूट पर 2 से घटकर 1 रह गई है।
- यमुनानगर रूट पर 12 से घटकर 4 रह गई हैं।
- चंडीगढ़ मार्ग पर 22 बसों की जगह अब केवल 15 बसें हैं।
स्थानीय यात्रियों का कहना है कि पीक आवर्स में सीट नहीं मिलने से वे निजी वाहनों और टैक्सियों पर निर्भर हो रहे हैं।
कर्मचारी की कमी का असर
अंबाला डिपो में कुल 490 कर्मचारी हैं, जिनमें 232 चालक और 258 परिचालक शामिल हैं। डिपो प्रबंधन का कहना है कि सुचारू संचालन के लिए कम से कम 160 और चालक व परिचालक की आवश्यकता है।
महाप्रबंधक अश्वनी डोगरा ने बताया कि मुख्यालय को अतिरिक्त स्टाफ के लिए पत्र भेजा गया है और उम्मीद है कि जल्द ही नई नियुक्तियां होंगी।
इलेक्ट्रिक बसों की आवश्यकता
परिवहन क्षेत्र के विशेषज्ञों का मानना है कि इलेक्ट्रिक बसें प्रदूषण कम करने और हरित यात्रा को बढ़ावा देने के लिए आवश्यक हैं। लेकिन इसके लिए अलग स्टाफिंग और नियोजन होना चाहिए।
लंबी दूरी के मार्गों पर रोडवेज सेवा में बाधा आने से यात्री अनुभव और राजस्व पर नकारात्मक प्रभाव पड़ रहा है।
भविष्य की संभावनाएं
नई भर्ती और व्यवस्थाओं के बाद रोडवेज बेड़ा सामान्य स्थिति में लौटने की संभावना है। विशेषज्ञों का सुझाव है कि इलेक्ट्रिक बसों के लिए अलग प्रशिक्षण और समर्पित टीम बनाई जाए ताकि पारंपरिक रूट प्रभावित न हों।
