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अखिलेश यादव का चुनावी जालसाज़ी पर कड़ा बयान

बिहार में विधानसभा चुनावों से पहले मतदाता सूची की समीक्षा को लेकर सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव ने गंभीर आरोप लगाए हैं। उन्होंने संदिग्ध स्वयंसेवकों की पहचान उजागर करने की मांग की है और कहा है कि उन्हें इस जालसाज़ी का हिस्सा नहीं बनने दिया जाना चाहिए। यादव का कहना है कि चुनाव आयोग को आम लोगों को स्वयंसेवक बनाने का अधिकार नहीं है। जानें इस मुद्दे पर उनका क्या कहना है और यह चुनावी प्रक्रिया पर कैसे असर डाल सकता है।
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अखिलेश यादव का चुनावी जालसाज़ी पर कड़ा बयान

बिहार में चुनावी सरगर्मी

लखनऊ। बिहार में विधानसभा चुनावों से पहले मतदाता सूची की गहन समीक्षा को लेकर राजनीतिक गतिविधियाँ तेज हो गई हैं। विपक्षी दलों के नेता भाजपा सरकार और चुनाव आयोग पर आरोप लगा रहे हैं। इस संदर्भ में सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव ने एक महत्वपूर्ण बयान दिया है। उन्होंने कहा कि संदिग्ध स्वयंसेवकों को इस धोखाधड़ी में शामिल नहीं होने दिया जाना चाहिए, चाहे इसके लिए अदालत का सहारा लेना पड़े।

अखिलेश यादव ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर लिखा कि सबसे पहले उन 'स्वयंसेवकों' की पहचान की जानी चाहिए, जिन्हें बिहार और बंगाल में मतदाताओं के सत्यापन के लिए नियुक्त किया जा रहा है। यह सुनिश्चित किया जाना चाहिए कि ये 'स्वयंसेवक' सत्ताधारी दल या उनके सहयोगियों से संबंधित किसी भी संगठन से जुड़े न हों। उनके सोशल मीडिया खातों की जांच करके यह सुनिश्चित किया जाना चाहिए कि वे किसी राजनीतिक दल से जुड़े नहीं हैं।

उन्होंने कहा कि संदिग्ध स्वयंसेवकों को किसी भी स्थिति में इस धोखाधड़ी का हिस्सा नहीं बनने दिया जाना चाहिए, चाहे इसके लिए अदालत का दरवाजा ही क्यों न खटखटाना पड़े। चुनाव आयोग को मतदाता सूची के पुनर्निरीक्षण का अधिकार है, लेकिन यह कहीं नहीं लिखा गया है कि आम लोगों को इस तरह 'स्वयंसेवक' बनाया जाएगा।

अखिलेश ने आगे कहा कि जो मतदाता सूची पिछले जून में सही थी, वह इस जून में गलत कैसे हो सकती है। सत्ताधारी पार्टी हार के डर से ऐसा कर रही है, लेकिन बिहार, पश्चिम बंगाल और भविष्य में उत्तर प्रदेश में इस चालबाज़ी से भले ही कुछ वोट कम हो जाएं, भाजपा को हार का सामना करना पड़ेगा और वह हमेशा के लिए हार जाएगी। उन्होंने कहा कि पराजय का डर ही षड्यंत्रों को जन्म देता है।