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अखिलेश यादव की बढ़ती लोकप्रियता: बिहार चुनाव के बाद नई भूमिका

बिहार में महागठबंधन की हार के बावजूद, समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव की छवि में सकारात्मक बदलाव देखने को मिल रहा है। सोशल मीडिया पर उनकी प्रशंसा हो रही है, और उन्होंने कई रैलियों में भाग लिया। इसके अलावा, विपक्षी गठबंधन 'इंडिया' को एकजुट रखने में उनकी भूमिका की सराहना की जा रही है। तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एमके स्टालिन भी उनके संपर्क में हैं, जिससे उनकी नई राजनीतिक भूमिका और बढ़ सकती है। जानें इस स्थिति के पीछे की पूरी कहानी।
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अखिलेश यादव की बढ़ती लोकप्रियता: बिहार चुनाव के बाद नई भूमिका

बिहार में महागठबंधन की हार के बावजूद अखिलेश यादव की ब्रांडिंग

बिहार में महागठबंधन भले ही चुनाव हार गया हो और तेजस्वी यादव पर कई सवाल उठ रहे हों, लेकिन समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव की छवि में सकारात्मक बदलाव देखने को मिल रहा है। सोशल मीडिया पर राजद का समर्थन भी अखिलेश की प्रशंसा कर रहा है, जबकि सपा के प्रवक्ता और नेता उनके प्रचार में जुटे हुए हैं। यह बताया जा रहा है कि बिहार में महागठबंधन ने उनकी पार्टी को कोई सीट नहीं दी, फिर भी अखिलेश ने दो दर्जन से अधिक रैलियों में भाग लिया। वे हेलीकॉप्टर से बिहार के विभिन्न क्षेत्रों में प्रचार करने पहुंचे थे। इसके अलावा, उन्होंने महागठबंधन की एकता बनाए रखने में भी योगदान दिया।


विपक्षी गठबंधन ‘इंडिया’ को एकजुट रखने में उनकी भूमिका की सराहना की जा रही है। हरियाणा का उदाहरण दिया जा रहा है, जहां कांग्रेस ने सपा को एक भी सीट नहीं दी, फिर भी अखिलेश ने आम आदमी पार्टी की तरह उम्मीदवार खड़े कर कांग्रेस को कमजोर करने का प्रयास नहीं किया। हाल ही में खबर आई है कि तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एमके स्टालिन भी अखिलेश के संपर्क में हैं। दोनों की मुलाकात जल्द ही होने की संभावना है। हालांकि, आंध्र प्रदेश और तेलंगाना की तरह तमिलनाडु में यादवों की संख्या कम है, फिर भी स्टालिन चाहते हैं कि अखिलेश वहां सेकुलर प्रोग्रेसिव अलायंस के लिए प्रचार करें। अगले साल अप्रैल में वहां चुनाव होने वाले हैं। ऐसा प्रतीत होता है कि विपक्षी गठबंधन में एक नए नेता के रूप में अखिलेश यादव की पहचान बनाने की कोशिश की जा रही है, जिससे कांग्रेस के नेता सतर्क हो गए हैं।