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अखिलेश यादव की मस्जिद में सभा पर भाजपा का विवादित आरोप

समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव द्वारा संसद भवन के पास एक मस्जिद में आयोजित सभा ने भाजपा और सपा के बीच विवाद को जन्म दिया है। भाजपा ने आरोप लगाया है कि अखिलेश ने मस्जिद का उपयोग राजनीतिक उद्देश्यों के लिए किया है, जबकि सपा ने इसे संविधान का उल्लंघन मानने से इनकार किया है। इस घटना ने राजनीतिक माहौल को और गरमा दिया है, खासकर तब जब अखिलेश ने राम मंदिर प्राण प्रतिष्ठा समारोह में शामिल होने का निमंत्रण ठुकराया था। जानें इस विवाद के पीछे की पूरी कहानी और दोनों पक्षों की प्रतिक्रियाएँ।
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अखिलेश यादव की मस्जिद में सभा पर भाजपा का विवादित आरोप

अखिलेश यादव की मस्जिद में सभा का मामला

अखिलेश यादव की मस्जिद में सभा: समाजवादी पार्टी (सपा) के राष्ट्रीय अध्यक्ष और सांसद अखिलेश यादव द्वारा संसद भवन के निकट एक मस्जिद में राजनीतिक सभा आयोजित करने का मामला चर्चा का विषय बन गया है। इस घटना ने भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) और सपा के बीच एक नया विवाद उत्पन्न कर दिया है। जैसे ही उनकी तस्वीरें सामने आईं, भाजपा ने इसे मुद्दा बनाना शुरू कर दिया। भाजपा के अल्पसंख्यक मोर्चा ने तस्वीर साझा करते हुए आरोप लगाया कि अखिलेश ने इस मस्जिद को सपा कार्यालय में बदल दिया है। भाजपा ने इस पर कड़ी आपत्ति जताई है और इसके खिलाफ प्रदर्शन करने की योजना बनाई है।


भाजपा का हमला

भाजपा सपा प्रमुख पर इस कारण भी हमला कर रही है क्योंकि अखिलेश ने एक बार राम मंदिर प्राण प्रतिष्ठा समारोह में शामिल होने का निमंत्रण ठुकरा दिया था। उन्होंने कहा था, 'जब भगवान मुझे बुलाएँगे, मैं जाऊँगा। चाहे किसी का भी भगवान हो, हमारा भगवान पीडीए है।' अब मस्जिद में सभा करने के बाद भाजपा ने उन पर आरोप लगाया है कि 'वह नमाजवादी हैं।'


क्या है पूरा मामला?

22 जुलाई को नई दिल्ली में संसद भवन के पास एक मस्जिद में अखिलेश यादव की उपस्थिति में सपा की एक सभा हुई थी। इस बैठक में सपा के कई प्रमुख नेता और कार्यकर्ता शामिल थे। इस घटना के सामने आने के बाद भाजपा ने तीखी प्रतिक्रिया दी। भाजपा नेता और उत्तर प्रदेश के उपमुख्यमंत्री ब्रजेश पाठक ने कहा, 'समाजवादी पार्टी और उसके मुखिया अखिलेश यादव हमेशा संविधान का उल्लंघन करते हैं। भारतीय संविधान में स्पष्ट रूप से कहा गया है कि धार्मिक स्थलों का उपयोग राजनीतिक उद्देश्यों के लिए नहीं किया जा सकता। सपा को संविधान पर भरोसा नहीं है। वह हमेशा 'नमाज़वादी' बने रहते हैं।'


अखिलेश ने राम मंदिर का न्योता ठुकराया

यह ध्यान देने योग्य है कि राम लला प्राण प्रतिष्ठा के दौरान पत्रकारों ने अखिलेश यादव से पूछा था कि क्या वह 22 जनवरी को प्राण प्रतिष्ठा समारोह के लिए अयोध्या जाएंगे। इस पर उन्होंने कहा कि उन्हें प्राण प्रतिष्ठा का निमंत्रण नहीं मिला है। इसके बाद, विश्व हिंदू परिषद (विहिप) ने कहा कि अखिलेश को राम मंदिर प्राण प्रतिष्ठा समारोह में शामिल होने का निमंत्रण दिया गया था, लेकिन उन्होंने इसे स्वीकार नहीं किया।

आलोक कुमार विश्व हिंदू परिषद की ओर से अखिलेश यादव को न्योता देने गए थे। अखिलेश ने कहा, 'हम उन्हें (आलोक कुमार) नहीं जानते। जिन्हें हम नहीं जानते, उन्हें न तो बुलाते हैं और न ही उनसे कोई निमंत्रण लेते हैं। जब भगवान बुलाएंगे, तब जाएंगे। चाहे किसी का भी भगवान हो, हमारा भगवान तो पीडीए है।'