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अखिलेश यादव ने कथावाचकों को सम्मानित किया, भाजपा पर लगाए गंभीर आरोप

समाजवादी पार्टी के नेता अखिलेश यादव ने इटावा के कथावाचकों को सम्मानित किया और भाजपा पर गंभीर आरोप लगाए। उन्होंने कहा कि कथावाचकों का अपमान भाजपा के इशारे पर हुआ। यादव ने यह भी बताया कि ये कथावाचक पहले से गांवों में कथा सुनाते आ रहे हैं। जानें इस विवाद की पूरी कहानी और इसके पीछे की सच्चाई।
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अखिलेश यादव ने कथावाचकों को सम्मानित किया, भाजपा पर लगाए गंभीर आरोप

समाजवादी पार्टी का कदम

समाजवादी पार्टी के नेता अखिलेश यादव ने आज मीडिया से बातचीत में बताया कि उन्होंने इटावा के कथावाचकों को लखनऊ स्थित पार्टी कार्यालय में बुलाकर सम्मानित किया। उनका यह कदम समाज में बढ़ती दूरियों को कम करने के उद्देश्य से था। उन्होंने आरोप लगाया कि भारतीय जनता पार्टी के इशारे पर उनके ही समर्थकों ने कथावाचकों का अपमान किया, जिसमें उनकी चोटी काटना और नाक रगड़वाना शामिल था।


कथावाचकों का इतिहास

अखिलेश यादव ने कहा कि यादव जाति के ये कथावाचक पहले भी गांवों में कथा सुनाते रहे हैं। गांव के लोग पहले से जानते थे कि ये कथावाचक यादव जाति के हैं। उन्होंने यह भी कहा कि ये कथावाचक बिना अधिक पैसे लिए भागवत कथा सुनाते आए हैं, लेकिन इस बार जानबूझकर उनका अपमान किया गया। यह कहना गलत है कि उन्होंने अपनी जाति छिपाई है।


महंगे कथावाचकों की चर्चा

अखिलेश यादव ने धीरेंद्र शास्त्री का नाम लेते हुए कहा कि वह बहुत महंगे कथावाचक हैं और गांव के लोग उनकी फीस नहीं चुका सकते। उन्होंने बताया कि गांव के लोग इन कथावाचकों को बुलाकर कथा सुनते हैं, लेकिन भाजपा समाज को जातियों में बांटने का प्रयास कर रही है। इसलिए हमने उन्हें बुलाकर सम्मानित किया और उन्हें ढोलक और पैसे दिए।


घटना का विवरण

इटावा के दादरपुर गांव में कथावाचक संत कुमार यादव और मुकुट मणि यादव भागवत कथा कह रहे थे। इसी दौरान कुछ ब्राह्मण समाज के लोगों ने उन पर आरोप लगाया कि उन्होंने अपनी जाति छुपाई और खुद को ब्राह्मण बताया, जिससे धार्मिक भावनाएं आहत हुईं। इसके बाद कथावाचकों के साथ मारपीट की गई, उनकी चोटी काट दी गई और महिलाओं के पैरों में नाक रगड़वाई गई। इस घटना के बाद अहीर रेजिमेंट के लोगों ने विरोध प्रदर्शन किया। इस मामले में कथावाचकों के खिलाफ भी मुकदमा दर्ज किया गया है, जबकि हिंसा करने वालों को गिरफ्तार कर लिया गया है।