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अखिलेश यादव ने महाकुंभ में कचरा निस्तारण पर उठाए सवाल

उत्तर प्रदेश में महाकुंभ के दौरान कचरा निस्तारण के मामले में गंभीर अनियमितताएँ सामने आई हैं। अखिलेश यादव ने इस पर सवाल उठाते हुए कहा कि कचरा निस्तारित नहीं, बल्कि केवल विस्थापित किया गया है। उन्होंने बीबीसी की रिपोर्ट को साझा करते हुए सरकार पर निशाना साधा है। रिपोर्ट में कचरा निस्तारण के नाम पर हुए भ्रष्टाचार का खुलासा किया गया है। जीपीएस ट्रैकर के माध्यम से इस खेल का पर्दाफाश हुआ है, जिससे यह स्पष्ट होता है कि सरकारी धन का दुरुपयोग किया गया है।
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अखिलेश यादव ने महाकुंभ में कचरा निस्तारण पर उठाए सवाल

महाकुंभ में कचरा निस्तारण का विवाद


लखनऊ। उत्तर प्रदेश में कचरा निस्तारण के मामले में गंभीर अनियमितताएँ सामने आई हैं। कचरा निस्तारण का कार्य करने वाली कंपनियाँ अधिकारियों के सहयोग से करोड़ों रुपये का गबन कर रही हैं। प्रयागराज महाकुंभ में उत्पन्न 30,000 मीट्रिक टन कचरे का कोई ठोस हिसाब नहीं है। इस पर समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव ने भी सवाल उठाए हैं। उन्होंने कहा कि, कचरा निस्तारित नहीं किया गया, बल्कि केवल विस्थापित किया गया है।


अखिलेश यादव ने बीबीसी की एक रिपोर्ट को सोशल मीडिया पर साझा करते हुए लिखा कि, महाकुंभ मेले 2025 में सफाई के बजट का क्या हुआ, इसकी जांच होनी चाहिए। उन्होंने यह भी कहा कि, महाकुंभ का कचरा निस्तारित नहीं, बल्कि केवल स्थानांतरित किया गया है। उन्होंने मजाक में कहा कि, ‘मेला खत्म, पैसा हजम’… आधा पैसा तुम लो और आधा हम।


उत्तर प्रदेश में कचरा निस्तारण के नाम पर चल रहे इस खेल का पहले भी खुलासा किया गया था। अखिलेश यादव ने बीबीसी की रिपोर्ट को साझा कर सरकार पर निशाना साधा है, जिसमें कचरा निस्तारण के नाम पर हुए भ्रष्टाचार का विवरण दिया गया है।




वास्तव में, जीपीएस ट्रैकर के माध्यम से इस अनियमितता का खुलासा हुआ है, जिससे यह स्पष्ट होता है कि महाकुंभ के दौरान कचरा निस्तारण के नाम पर सरकारी धन का दुरुपयोग किया गया है। रिपोर्ट में बताया गया है कि, सरकार के अनुसार, प्रयागराज में महाकुंभ के दौरान 45 दिनों में 66 करोड़ से अधिक लोग शामिल हुए। इस दौरान लगभग 30,000 मीट्रिक टन कचरा उत्पन्न हुआ। इस कचरे के निस्तारण की प्रक्रिया को समझने के लिए जीपीएस ट्रैकर का उपयोग किया गया।


जीपीएस ट्रैकर को विभिन्न प्रकार के कचरे में रखा गया और कुंभ मेला क्षेत्र में छोड़ा गया। पहले जीपीएस ट्रैकर को डायपर और दूसरे को चिप्स के पैकेट में रखा गया। इसके बाद ये ट्रैकर कचरे के साथ बसवार गांव स्थित वेस्ट डिस्पोजल प्लांट तक पहुंचे। जबकि सरकार का दावा है कि कचरे का निस्तारण वैज्ञानिक तरीके से किया गया, बीबीसी टीम का कहना है कि यदि ऐसा हुआ होता, तो जीपीएस ट्रैकर नष्ट हो जाते, लेकिन वे आज भी वहीं मौजूद हैं।